जानकारी के अनुसार, हादसा शिफ्ट बदलने के दौरान हुआ, जब एक ट्रेन मजदूरों को लेकर बाहर जा रही थी और दूसरी सामग्री ढोकर अंदर आ रही थी। सुरंग की एकल पटरी पर दोनों ट्रेनों की जोरदार टक्कर हो गई, जिससे दो कोच पटरी से उतर गए। उस समय सुरंग में 109 अधिकारी, कर्मचारी और मजदूर मौजूद थे। अफरा-तफरी के बीच सभी को सुरक्षित बाहर निकाला गया, लेकिन 60 लोगों को चोटें आईं। इनमें से 42 घायलों का इलाज जिला अस्पताल गोपेश्वर में चल रहा है, जबकि 17 को पीपलकोटी के विवेकानंद अस्पताल में भर्ती कराया गया है। ज्यादातर घायलों की हालत स्थिर बताई जा रही है, हालांकि 4-5 की स्थिति गंभीर है।
चमोली के जिलाधिकारी गौरव कुमार ने बताया, “हादसे की सूचना मिलते ही हम मौके पर पहुंचे। सभी घायलों को तत्काल अस्पताल पहुंचाया गया। डॉक्टरों को बेहतर उपचार के निर्देश दिए गए हैं। प्रारंभिक जांच में तकनीकी खामी या सिग्नलिंग में चूक का संकेत मिल रहा है। जांच समिति गठित की जा रही है।” पुलिस अधीक्षक सुरजीत सिंह पंवार ने कहा कि राहत कार्य में एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें लगी हुई हैं।
यह परियोजना अलकनंदा नदी पर हेलंग और पीपलकोटी के बीच बन रही है, जो चार टरबाइनों से 111 मेगावाट बिजली उत्पादन करेगी। सुरंग का करीब 7 किलोमीटर हिस्सा पूरा हो चुका है। टीएचडीसी के अधिकारी ने बताया कि हादसे के कारण काम प्रभावित हुआ है, लेकिन सुरक्षा मानकों की समीक्षा की जाएगी।
हादसे ने एक बार फिर जलविद्युत परियोजनाओं में सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय ग्रामीणों ने मांग की है कि मजदूरों की सुरक्षा के लिए आधुनिक उपकरण और बेहतर प्रशिक्षण सुनिश्चित किया जाए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की है और जांच के आदेश दिए हैं।

