डीएम सोनिका ने प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में अनियमितता व धोखाधड़ी की जनसुनवाई में आई शिकायत पर दिए थे जांच के आदेश; समिति ने सौंपी जांच रिपोर्ट, धोखाधड़ी व अनियमितता की पुष्टि; जिलाधिकारी ने सम्बन्धित के विरूद्ध विधिक एवं विभागीय कार्यवाही के लिए शासन को लिखा पत्र
देहरादून : जिलाधिकारी सोनिका की अध्यक्षता में 30 अक्टूबर 2023 को आयोजित जनसुनवाई में विकासखण्ड रायपुर के ग्राम सिल्ला एवं रामनगर डांडा के कृषकों द्वारा प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में किसानों के द्वारा तत्समय कार्यरत कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी रायपुर के विरूद्ध वित्तीय धोखाधड़ी किये जाने की शिकायत करते हुए कार्यवाही किये जाने की मांग की गई थी। जिस पर जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी को समिति गठित कर जांच करने के आदेश दिए गए थे। मुख्य कृषि अधिकारी, कृषि भूमि संरक्षण अधिकार सहसपुर, अवर सहायक अभियन्ता कृषि, की समिति द्वारा शिकायतों की जांच की गई।
समिति द्वारा उक्त गावों का स्थलीय निरीक्षण किया तथा आहरित बिल, अनुदान फार्म तथा अन्य बिलों की जांच करने पर पाया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना में धरातल पर योजना के अनुरूप कार्य कराये बिना सत्यापन कृषकों के नाम पर अनुदान बिलों का आहरण पर फर्मों को सीधे भुगतान कर दिया गया। उक्त गांव का स्थलीय निरीक्षण के उपरान्त समिति द्वारा पाया गया कि प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, ग्राम सिल्ला में सिंचाई पाईप स्प्रिंकलर से अथवा अन्य कोई भी सिचाईं साधन स्थापित करना नही पाया गया, तथा अन्य कृषिकों द्वारा भी स्प्रिंकलर सेट न मिलने की शिकायत की गई तथा एक महिला ने शिकायत की गई कि उनके मृत पति के नाम पर बिना उनकी जानकारी के स्प्रिंकलर सैट पर अनुदान निकाल दिया गया। जांच टीम ने पाया कि जब जांच हेतु टीम जा रही थी तब ग्राम सिल्ला में 02 वाहनों स्प्रिंकलर पाईपों गांव में पंहुचाए जा रहे थे। इसी प्रकार ग्राम रामनगर डांडा में कृषकों की भूमि पर स्प्रिंकलर सेट लगा होना नही पाया गया, जबकि कार्य का भुगतान सम्बन्धित फर्म को पूर्व में ही कर दिया गया। जांच में पाया गया कि एक महिला के आवेदन तथा उस पर हस्ताक्षर दूसरी महिला के नाम से वहीं अंग्रेजी में हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति के हस्ताक्षर हिन्दी में पाया गया।
समिति ने पाया कि अनुदान हेतु प्रार्थना पत्र तथा आवेदन के साथ संलग्न शपथ पत्र पर सभी कृषकों के जो हस्ताक्षर किये गए हैं वह भिन्न हैं। कार्यालय के बिलों के साथ संलग्न कृषकों की फोटोग्राफ वास्तविक से भिन्न है। कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी रायपुर द्वारा अधिकाशतः कुल 80 प्रतिशत् अनुदान राशि (55 प्रतिशत् केेन्द्रपोषित एवं 25 प्रतिशत् राज्य पोषित योजना से) विभिन्न फर्मों को सीधे भुगतान कर दी गई, जबकि धरातल पर योजना के अनुरूप स्प्रिंकलर स्थापित करने का कार्य कराया ही नहीं गया, अनुदान कृषकों को डीबीटी किया जाना था किन्तु कृषकों के नाम से बिल आहरण कर कुछ फर्मों को लाभान्वित किया गया। कृषकों के नाम एक ही वित्तीय वर्ष में 2 बार स्प्रिंकलर सैट लगाने हेतु अनुदान पारित किया गया। वास्तविक कृषकों की जानकारी के बिना तथा बिना स्थलीय सत्यापन के कृषि एवं भूमि सरंक्षण अधिकारी रायपुर द्वारा कृषकों के नाम से बिलों पर अनुदान राशि का आहरण कर कुछ फर्मों को लाभान्वित किया गया।
समिति की जांच आख्या उपरान्त जिलाधिकारी ने सचिव, कृषि एवं कृषक कल्याण उत्तराखण्ड शासन को तत्कालिन कृषि एवं भूमि संरक्षण अधिकारी रायपुर (वर्तमान में सबद्ध कृषि निदेशालय) राजदेव पंवार के विरूद्ध विधिक/विभागीय कार्यवाही करने हेतु पत्र प्रेषित किया गया है।