उत्तराखंड में आलू बीज उत्पादन का नया मॉडल : जल्लू गांव के किसानों ने रचा इतिहास, सौर ऊर्जा कोल्ड स्टोर से मिला सहारा, आय में हुई 70% तक वृद्धि

- किसान फैडरेशन के माध्यम से कलस्टर में आलू बीज उत्पादन कार्यक्रम
- उत्तराखण्ड में आलू बीज उत्पादन का नया मॉडल: जल्लू गांव के किसानों ने रचा इतिहास
- उत्तराखण्ड में आलू बीज उत्पादन को मिला नया आयाम, थलीसैंण के किसान बने मिसाल
पौड़ी : उत्तराखण्ड राज्य के अधिकांश भू-भाग पहाड़ी होने के कारण यहां की जलवायु व मौसम आलू बीज उत्पादन के लिए अत्यन्त अनुकूल है। राज्य में उद्यान विभाग को प्रतिवर्ष लगभग 15 हजार कुंतल प्रमाणित आलू बीज की आवश्यकता होती हैं, परंतु उत्तराखण्ड में राजकीय उद्यानों तथा किसान फैडरेशनों के माध्यम से लगभग 6-7 हजार कुंतल आलू बीज ही उत्पादित होता है। जिस कारण उद्यान विभाग को प्रतिवर्ष लगभग 8-9 हजार कुंतल आलू बीज बाहर के राज्यों हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश व हरियाणा आदि राज्यों से आलू का प्रमाणित बीज क्रय कर किसानों को उपलब्ध कराया जाता है। उत्तराखण्ड में किसानों के माध्यम से बीज उत्पादन केवल जनपद पिथौरागढ़ के मुनस्यारी तथा उधमसिंह नगर के काशीपुर में किया जाता है।
उत्तराखण्ड राज्य जहां एक ओर आलू बीज की कमी से जूझता रहा है वहीं दूसरी ओर पौड़ी गढ़वाल के आलू उत्पादन बहुल क्षेत्र थलीसैण के किसान आलू का उचित मूल्य एवं बाजार न मिलने से परेशान थे। किसानो की इसी समस्या के समाधान हेतु पौड़ी के थलीसैंण विकासखण्ड में वर्ष 2023 में एन.आर.एल.एम. के तहत प्रेरणा आलू बीज उत्पादक फैडरेशन द्वारा ग्राम जल्लू गांव से 51 किसानों से साथ 3.72 हैक्टेयर भूमि पर आलू बीज उत्पादन का प्रोजेक्ट प्रारंभ किया गया।
इस परियोजना के तहत प्रेरणा फैडरेशन द्वारा जल्लू गांव में 51 किसानों के साथ उनकी 3.72 हैक्टेयर भूमि पर एन.आर.एल.एम., रीप परियोजना, कृषि विभाग तथा उद्यान विभाग के सहयोग से आलू बीज उत्पादन का कार्य प्रारंभ किया गया। जिस हेतु उद्यान विभाग के माध्यम से 100 कुंतल कुफरी ज्योति प्रजाति का F1 बीज हिमाचल प्रदेश के कुफरी से मंगाया गया। किसानो के क्षमता विकास के लिए केन्द्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) शिमला में प्रशिक्षण करवाया गया। बीज प्रमाणीकरण हेतु संबंधित फैडरेशन का पंजीकरण, पैनकार्ड, जीएसटी पंजीकरण, बीज लाइसेंस तथा बीज प्रमाणीकरण एजेंसी में पंजीकरण कर बीज प्रमाणीकरण का कार्य करवाया गया। किसानों को बीज बुवाई, सीड ट्रीटमेंट, सिंचाई सुविधा तथा तकनीकी जानकारी सभी हितभागी औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार व विभागों के माध्यम से सत्त रूप से उपलब्ध कराई गई।
फैडरेशन द्वारा किसानों को आलू बीज, दवाई, कीटनाशक, लाइट ट्रैप आदि इनपुट क्रेडिट सिस्टम के आधार पर उपलब्ध कराये जा रहे हैं तथा समस्त 51 किसानों को फसल बीमा भी फैडरेशन के माध्यम से करवाया गया। इससे इस वर्ष 235 कुंतल प्रमाणित आलू बीज प्राप्त प्राप्त हुआ है। जिसके सुरक्षित भण्डारण हेतु जल्लू गांव में 600 कुंतल की क्षमता का एक सोलर कोल्ड स्टोर तैयार किया गया और इस कोल्ड स्टोर में आलू बीज को संरक्षित व भंडारित किया गया।
सौर उर्जा पर आधारित बडे़ कोल्ड स्टोर के निर्माण की इस क्षेत्र में यह पहली पहल है। इससे जहां एक ओर फैडरेशन की रख-रखाव लागत कम होगी वहीं दूसरी ओर आलू के अतिरिक्त क्षेत्र में उत्पादित होने वाले अन्य फलों एवं सब्जियों को भी आवश्यकतानुसार भण्डारित कर किया जा सकेगा। जिससे किसानों की होल्डिंग क्षमता बढ़ेगी व उन्हें औने-पौने दामों पर अपने उत्पाद नहीं बेचने पड़ेंगे।
इस प्रोजेक्ट के तहत फैडरेशन द्वारा माह सितम्बर 2023 में किसानों से रूपये 25/किलो की दर से आलू क्रय किया गया। जिसके तहत 235 कुंतल आलू बीज क्रय कर स्टोर किया गया है। जिसे कि उद्यान विभाग द्वारा रूपये 38 प्रतिकिलों की दर से क्रय कर लिया गया है। जिससे फैडरेशन द्वारा रूपये 9,16,500/- का ब्यवसाय कर रू 3,29,000/- का सकल लाभ प्राप्त किया गया।
पहले जहां किसानों को अपना आलू बाजार जाकर 12-15 रूपये किलो बेचना पड़ता था वहीं अब फैडरेशन द्वारा गांव में ही उनका आलू 25 रूपये किलो फैडरेशन द्वारा खरीदा गया। जिससे उन्हें पहले के मुकाबले 60-70 प्रतिशत अधिक मूल्य प्राप्त होगा हो रहा है। इस बीज उत्पादन प्रोजेक्ट से फैडरेशन ने रूपये 9,16,500/- का ब्यवसाय कर रूपये 3,29,000/- का लाभ प्राप्त किया गया जिसे कि आगामी वर्ष में बीज उत्पादन कार्य हेतु उपयोग किया जायेगा।
आलू बीज उत्पादन के इस प्रोजेक्ट के लिए फैडरेशन द्वारा एन.आर.एल.एम., रीप परियोजना, कृषि विभाग, उद्यान विभाग तथा विकासखण्ड की 8-10 योजनाओं का युगपतीकरण कर मल्टीडिपार्टमेंटल कोआर्डिनेशन के माध्यम कार्य किया गया जो कि अपने आप में एक नवीन पहल है।
इस प्रोजेक्ट के द्वितीय चरण वर्ष 2024 में जल्लू गांव में ही 9.42 हैक्टेयर भूमि पर 59 किसानों के साथ प्रमाणित आलू बीज उत्पादन का कार्यक्रम किया गया। जिसके तहत 280 कुंतल आलू का बीज किसानों से रूपये 25/किलो की दर से क्रय कर प्रमाणित करवाया गया है तथा उसके पश्चात उद्यान विभाग को रू 40/किलो की दर से विक्रय किया गया।
परियोजना के तृतीय चरण में वर्ष 2025 में जल्लू गांव में 59 किसानों के माध्यम से आलू बीज उत्पादन हेतु 150 कुंतल कुफरी ज्योति प्रजाति का F1 बीज बोया गया है। जिसका सीड सार्टिफिकेशन एजेंसी से 02 चरण का वैरीफिकेशन पूर्ण हो चुका है। इस वर्ष अनुमानित 500-550 कुंतल आलू बीज उत्पादन होने की संभावना है।
क्या कहते है अधिकारी
अपर सचिव ग्राम्य विकास, सीईओ उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, परियोजना निदेशक रीप एवं प्रबंध निदेशक हाउस ऑफ़ हिमालयाज झरना कमठान ने बताया कि जल्लू गांव में शुरू हुआ आलू बीज उत्पादन प्रोजेक्ट उत्तराखंड के लिए क्लस्टर आधारित आलू बीज उत्पादन का मजबूत मॉडल तैयार कर रहा है। एन.आर.एल.एम., रीप परियोजना, कृषि विभाग और उद्यान विभाग के समन्वित प्रयासों से यह पहल न केवल जल्लू गांव तक सीमित रहेगी बल्कि आने वाले समय में अन्य उपयुक्त क्षेत्रों में भी लागू की जाएगी। इससे राज्य में आलू बीज की कमी दूर होगी, किसानों की आय में वृद्धि होगी और स्थानीय कृषि अर्थव्यवस्था को नया बल मिलेगा।
जल्लू गांव में प्रेरणा आलू बीज उत्पादक फैडरेशन द्वारा शुरू की गई यह पहल उत्तराखण्ड के आलू बीज उत्पादन के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम है। अब तक राज्य को अपनी आलू बीज की आवश्यकता का बड़ा हिस्सा बाहर के राज्यों से क्रय करना पड़ता था, जिससे लागत बढ़ती थी और किसानों को सीमित अवसर मिलते थे। यह मॉडल क्लस्टर आधारित आलू बीज उत्पादन का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें एन.आर.एल.एम., रीप परियोजना, कृषि विभाग, उद्यान विभाग, औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय, सीड प्रमाणीकरण एजेंसी और स्थानीय किसानों को एक प्लेटफॉर्म पर जोड़कर कार्य किया जा रहा है।
अपर सचिव ग्राम्य विकास, सीईओ उत्तराखंड राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन, परियोजना निदेशक रीप एवं प्रबंध निदेशक हाउस ऑफ़ हिमालयाज झरना कमठान ने कहा कि इस परियोजना के माध्यम से किसानों को न केवल प्रमाणित बीज उत्पादन का प्रशिक्षण मिला है, बल्कि उन्हें समय पर बीज, दवाइयाँ, तकनीकी जानकारी, भंडारण और विपणन की सुविधाएँ भी प्रदान की गई हैं। सौर ऊर्जा आधारित कोल्ड स्टोर की स्थापना इस क्षेत्र में एक नई दिशा है, जिससे रख-रखाव की लागत कम होगी और किसानों को अपने उत्पादों को सुरक्षित रखने तथा बेहतर दाम पर बेचने का अवसर मिलेगा।
अपर सचिव ग्राम्य विकास झरना कमठान ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि यह सफल मॉडल केवल जल्लू गांव तक सीमित न रहे, बल्कि इसे राज्य के अन्य उपयुक्त क्षेत्रों में भी लागू किया जाए। इससे राज्य की आलू बीज उत्पादन क्षमता में वृद्धि होगी, किसानों की आय दोगुनी होगी और स्थानीय कृषि अर्थव्यवस्था को नया बल मिलेगा। यह पहल ‘आत्मनिर्भर उत्तराखण्ड’ के लक्ष्य की दिशा में भी एक महत्वपूर्ण कदम है।
‘प्रेरणा’ बनी आत्मनिर्भरता की कुंजी : सौर ऊर्जा कोल्ड स्टोर के साथ बढ़ी किसानों की खुशहाली
किसानों की इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए वर्ष 2023 में एन.आर.एल.एम. (राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन) के तहत प्रेरणा आलू बीज उत्पादक फैडरेशन की स्थापना की गई। इस फैडरेशन ने ग्राम जल्लू गांव में 51 किसानों के साथ 3.72 हेक्टेयर भूमि पर आलू बीज उत्पादन का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट शुरू किया। इस परियोजना को एन.आर.एल.एम., रीप परियोजना, कृषि विभाग और उद्यान विभाग का भरपूर सहयोग मिला।
परियोजना के तहत, उद्यान विभाग के माध्यम से हिमाचल प्रदेश के कुफरी से ‘कुफरी ज्योति’ प्रजाति का 100 कुंतल F1 बीज मंगाया गया। किसानों की क्षमता बढ़ाने के लिए उन्हें केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान (CPRI) शिमला में विशेष प्रशिक्षण दिया गया। बीज प्रमाणीकरण के लिए फैडरेशन का पंजीकरण, पैनकार्ड, जीएसटी पंजीकरण, बीज लाइसेंस और बीज प्रमाणीकरण एजेंसी में आवश्यक पंजीकरण जैसे सभी कार्य सुनिश्चित किए गए। बीज बुवाई, सीड ट्रीटमेंट, सिंचाई सुविधा और तकनीकी जानकारी औद्यानिकी एवं वानिकी विश्वविद्यालय भरसार तथा विभिन्न विभागों द्वारा लगातार उपलब्ध कराई गई।
फैडरेशन ने किसानों को इनपुट क्रेडिट सिस्टम के आधार पर आलू बीज, दवाइयां, कीटनाशक और लाइट ट्रैप जैसी सभी आवश्यक सामग्री उपलब्ध कराई। इसके साथ ही, सभी 51 किसानों का फसल बीमा भी फैडरेशन के माध्यम से करवाया गया, जिससे उन्हें किसी भी unforeseen नुकसान से सुरक्षा मिली।
रिकॉर्ड उत्पादन और अत्याधुनिक सोलर कोल्ड स्टोर
इस वर्ष, इस परियोजना के शानदार परिणाम सामने आए, जिसमें कुल 235 कुंतल प्रमाणित आलू बीज प्राप्त हुआ। इस महत्वपूर्ण उपज के सुरक्षित भंडारण के लिए जल्लू गांव में 600 कुंतल की क्षमता का एक अत्याधुनिक सौर ऊर्जा आधारित कोल्ड स्टोर तैयार किया गया है। यह इस क्षेत्र में सौर ऊर्जा पर आधारित बड़े कोल्ड स्टोर के निर्माण की पहली पहल है।
इस कोल्ड स्टोर के कई फायदे हैं। इससे जहां एक ओर फैडरेशन की रखरखाव लागत कम होगी, वहीं दूसरी ओर आलू के अतिरिक्त क्षेत्र में उत्पादित होने वाले अन्य फल और सब्जियों को भी आवश्यकतानुसार भंडारित किया जा सकेगा। इससे किसानों की होल्डिंग क्षमता बढ़ेगी और उन्हें अपने उत्पाद औने-पौने दामों पर बेचने की मजबूरी से मुक्ति मिलेगी।
किसानों की आय में 70% तक की वृद्धि
इस प्रोजेक्ट का सबसे सकारात्मक प्रभाव किसानों की आय पर पड़ा है। पहले जहां किसान अपना आलू बाजार में 12-15 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचने को मजबूर थे, वहीं अब फैडरेशन ने सितंबर 2023 में उनसे आलू 25 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा। यह उन्हें पहले के मुकाबले 60-70 प्रतिशत अधिक मूल्य प्रदान कर रहा है।
फैडरेशन ने किसानों से 235 कुंतल आलू बीज क्रय कर स्टोर किया, जिसे उद्यान विभाग ने 38 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से खरीदा। इससे फैडरेशन ने 9,16,500/- रुपये का व्यवसाय कर 3,29,000/- रुपये का सकल लाभ कमाया है। इस लाभ का उपयोग आगामी वर्ष में बीज उत्पादन कार्यों को और विस्तारित करने में किया जाएगा।