भारत में सेरेलैक का 50वां साल, ‘सेरेलैक नो रिफाइंड शुगर रेसिपीज’ की पेशकश की गई
देहरादून: सेरेलैक, नेस्ले के सीरियल-बेस्ड कॉम्प्लीमेंटरी फूड, ने भारत में 50वें वर्ष में प्रवेश कर लिया है। नेस्ले इंडिया की पंजाब के मोगा में स्थित मशहूर फैक्ट्री में 15 सितंबर 1975 को सेरेलैक का पहला बैच बनाया गया था। आज पंजाब के मोगा और हरियाणा की समलखा फैक्ट्री में सैकड़ों कर्मचारी लगातार अच्छी गुणवत्ता के पौष्टिक उत्पाद उसी सावधानी एवं लगन के साथ बना रहे हैं।
पिछले पाँच दशकों से सेरेलैक ने उच्च गुणवत्ता की सामग्रियों का इस्तेमाल करने की अपनी प्रतिबद्धता को बरकरार रखा है। इनमें स्थानीय रूप से प्राप्त किये जाने वाले अनाज और दूध शामिल हैं। सेरेलैक का हर बैच कठोर गुणवत्ता जाँचों से होकर गुजरता है, इसके 40 से ज्यादा क्वॉलिटी टेस्ट किये जाते हैं ताकि हर पैक खाने के लिये पूरी तरह सुरक्षित हो।
सेरेलैक की न्यूट्रीशन प्रोडक्ट रेसिपीज नेस्ले के ग्लोबल आर एण्ड डी नेटवर्क के साथ मिलकर विकसित की जाती हैं। इनमें स्थानीय विशेषज्ञता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय नवाचार भी होता है।
सेरेलैक में नई-नई खोजें करने की इसकी यात्रा के तहत, पिछले 5 वर्षों से अतिरिक्त शुगर को 30% तक कम किया गया है। नेस्ले ने बिना रिफाइंड शुगर के ‘सेरेलैक’ वैरिएंट्स पेश करने की महत्वाकांक्षा भी पूरी की है। इसकी शुरूआत तीन साल पहले हुई थी और बिना रिफाइंड शुगर वाले नये सेरेलैक वैरिएंट्स की पेशकश के साथ इसी वर्ष काम पूरा हुआ है। भारत में सेरेलैक की विस्तारित श्रृंखला के पास अब 21 वैरिएंट्स होंगे, जिनमें से 14 वैरिएंट्स में रिफाइंड शुगर नहीं होगी। इन 14 वैरिएंट्स में से 7 वैरिएंट्स नवंबर 2024 के अंत तक उपलब्ध होंगे और बाकी आने वाले महीनों में उपलब्ध हो जाएंगे।
भारत में सेरेलैक की यात्रा उस भरोसे, सहयोग तथा साझेदारियों के कारण संभव हुई है, जिसे नेस्ले ने किसानों, सप्लायर्स और वितरकों के साथ दशकों में हासिल किया है। नेस्ले इंडिया अपने उत्पादों में नयापन लाने और अपने ग्राहकों को ज्यादा से ज्यादा विकल्प देने के लिए नेस्ले के ग्लोबल आर एण्ड डी नेटवर्क का लाभ उठाना जारी रखेगी।
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