कवि कुंवर विक्रमादित्य सिंह की एक कविता “अभी बैठे तुम विचारो, किया मैने आज तक क्या”
अभी बैठे तुम विचारो किया मैने आज तक क्या
कितने हो अनजान कि कितने काज के तुम वजह हो
सुबह तुमको देखते ही पालतू कुत्ता तुम्हारा
कितना देखो चिपटता है लेने को दुलार तुम्हारा
वक्त से तैयार होकर काम पर जब निकलते हो
वक्त की पाबंदगी का सबक घर को देते हो
तुम्हें लगता वहीं जीवन रोज मैं बस जी रहा हूं
परंतु कितनो के जीवन में जरूरी तुम वजह हो
अपनो से मिलकर रोज जो तुम खिलखिलाते
चाहे हो सफाईवाला प्रेम से करते हो बातें
काम अपना समय से निष्ठा से पूरा करते हो
सांझ तक घर को निकलते विदा सबसे लेते हो
थके हारे गाड़ी चलाते सोचते हो क्या ही जीवन
कितनो ही के जीवन में पर खुशी के तुम वजह हो
फिर गृहस्थी पहुंचते हो पत्नी देखे राह तुम्हारी
घर पहुंच बच्चे घेरे सुनते हो उनकी कहानी
जो भी घर का रोज का सामान लाकर सौंपते हो
दिन खत्म होने को फिर भी कुछ छूटा न देखते हो
रात भर फिर जागकर के आपबीती टटोलते हो
घर पे यह परिवार तुम्हारा चैन से है तुम वजह हो
– कुंवर विक्रमादित्य सिंह
( मेरे कुछ शब्द समर्पित हर उस व्यक्ति को जो न जानते हुए भी कितनी ही विशेषताओं की वजह है)