शिक्षिका असमा सुबहानी की एक कविता “जीवन में कुछ भी व्यर्थ नहीं”
जीवन के पथ पर होती है,
सुख दुख के पहिए की क्रीड़ा
सुख का आनंद वही लेगा,
जो भोगेगा दुख की पीड़ा,
सुख के पद चिन्हों पर आते,
दुख का कैसे कुछ अर्थ नहीं,
संबंध कोई भी व्यर्थ नहीं,
एक पुष्प सूख कर गिरता है,
एक नया पुष्प आ जाता है,
पाषाण यदि रस्ते आए,
क्या नदी-प्रवाह रुक जाता है,
गिर कर उठ जाने का बाकी,
क्या मानव में सामर्थ्य नहीं,
जीवन में कुछ भी व्यर्थ नहीं,
जब सूर्य अस्त हो जाता है,
तो पुनः दोबारा आता है,
हर रात तिमिर की गोद रहे,
लेकिन क्या वो घबराता है,
टूटेगा अगर नहीं कोई,
फिर जुड़ेगा कैसे दोबारा,
मृत्यु से मिलने का उत्सव,
क्या जीवन का सत्यार्थ नहीं,
जीवन में कुछ भी व्यर्थ नहीं,
जीवन में कुछ भी व्यर्थ नहीं।।
कवियत्री : शिक्षिका असमा सुबहानी, प्रभारी प्रधानाध्यापिका राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय बुडपुर जट्ट, विकासखंड नारसन, जनपद हरिद्वार