उत्तराखंड : प्रधानाचार्य सीधी भर्ती समर्थक शिक्षकों की बैठक, परीक्षा तिथि घोषित करने की मांग
देहरादून : प्रधानाचार्य भर्ती परीक्षा को लेकर अब सीधी भर्ती के समर्थक शिक्षकों ने सरकार से भर्ती जारी रखने की मांग की है। इस तरह से अब शिक्षक दो गुटों में भी नारी आ रहे हैं। अधिकांश युवा शिक्षकों का कहना है कि लोक सेवा आयोग के माध्यम से विभागीय भर्ती के जरिए प्रधानाचार्य के पदों पर भर्ती होनी चाहिए। इसको लेकर शिक्षकों की एक बैठक भी हुई है, जिसमें विभिन्न विंदुओं पर चर्चा की गई।
लोक सेवा आयोग उत्तराखण्ड के माध्यम से प्रधानाचार्य राइका/राबाइका सीमित विभागीय परीक्षा-2024 के आयोजन के समर्थन के संबंध में बैठक आहूत की गयी। बैठक में उत्तराखण्ड के सभी जनपदों से बडी संख्या में परीक्षा समर्थक शिक्षक-शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।
इस संदर्भ में अवगत कराना है कि सरकार द्वारा छात्रहित एंव जनहित में निर्णय लेते हुए विद्यालयों में रिक्त प्रधानाचार्य के 50 प्रतिशत पदों को सीमित विभागीय परीक्षा के माध्यम से भरे जाने का साहसिक निर्णय लिया गया है। इस निर्णय को लिए जाने के पीछे निश्चित रूप से छात्रहित सर्वाेपरि रहा है। क्योंकि विगत कई वर्षाे से प्रधानाचार्य/प्रधानाध्यापक के पद पर माननीय उच्च न्यायालय में योजित अलग-अलग रिट याचिकाओं के कारण पदोन्नति से नहीं भरे जा सके हैं।
अलग-अलग स्रोतों से नियुक्त शिक्षकों के स्वहित के कारण आने वाले समय में इसका समाधान होगा, ऐसा प्रतीत नही होता है। लम्बी अवधि तक प्रधानाचार्य/ प्रधानाध्यापक के पद रिक्त रहने से निःसन्देह विद्यालयों में नेतृत्व का अभाव रहा है, जिसका सीधा प्रभाव छात्र सम्प्राप्ति पर पड़ रहा है और यही चिन्ता बार-बार समाज के प्रबुद्धजनों द्वारा व्यक्त की जाती रही है।
वर्तमान में अधिकांश विद्यालयों में प्रभारी प्रधानाचार्य के रूप में शिक्षकों पर शैक्षणिक के साथ ही प्रशासनिक कार्यों का अतिरिक्त कार्यभार होने के कारण विद्यालयों का शैक्षणिक एवं प्रशासनिक कार्य प्रभावित हो रहा है, जिससे वर्ष दर वर्ष राजकीय विद्यालयों में छात्र नामांकन में गिरावट आ रही है। यह भी कि राज्य सरकार द्वारा इस परीक्षा को स्थगित करते हुए स्नातक वेतनक्रम मे सेवाएं दे चुके/दे रहे शिक्षकों को अवसर देने का जो निर्णय लिया गया है, यह भी सराहनीय कदम है जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा प्रोत्साहित होगी व व्यापक समावेशन होगा।
केन्द्रीय विद्यालय संगठन, नवोदय विद्यालय संगठन एवं अनेक राज्यों में यह प्रक्रिया एक परिपक्व व्यवस्था के रूप में स्थापित है, यही कारण है, कि इनमें शिक्षण का स्तर स्वतः प्रदर्शित हो रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 में भी उक्त की अनुशंसा की गयी है और नेतृत्व की आवश्यकता एवं अनिवार्यता को समझते हुए इसका पोेषण करती हैै।
महत्वपूर्ण एवं गौर करने योग्य तथ्य यह भी है कि उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग को अधियाचन भेजने से पूर्व इस संदर्भ में राजकीय शिक्षक संघ की सहमति भी पूर्व में ली गयी है, जिसका प्रमाण दिनांक 04 अगस्त 2023 को विद्यालयी शिक्षा मंत्री की अध्यक्षता में आहूत बैठक के कार्यवृत्त का बिन्दु संख्या-23 है, जिसे विभाग द्वारा पृ0सं0-16712-24/कार्यवृत्त/2023-24 दिनांक 23 अगस्त 2023 के माध्यम से जारी किया गया है। इसलिए वर्तमान में दिनांक 10 सितम्बर 2024 के उत्तराखण्ड शासन के पत्र में उल्लिखित नियमावली में संशोधन के निर्णय के पश्चात भी इसका विरोध करना छात्रहित एवं जनहित को प्रभावित कर रहा है।
यह भी संज्ञान में लाना है कि आयोग से विज्ञप्ति जारी होने के बाद लगभग 2900 शिक्षकों के द्वारा इसके लिए आवेदन किया गया है तथा अभिभावक, छात्र, जनसमुदाय तथा शिक्षक इस परीक्षा की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आवेदन करने वाले शिक्षक ही नहीं अपितु छात्रहित में सोचने वाले अन्य शिक्षक भी इस व्यवस्था से निश्चित रूप से प्रसन्न हैं। इसलिए इस परीक्षा के लिए आयोग के माध्यम से अगली तिथि यथाशीघ्र घोषित कराये जाने के लिए सरकार का सकारात्मक मार्गदर्शन अपेक्षित है।
बैठक की बड़ी बातें
- इस परीक्षा को कुछ शिक्षकों द्वारा ‘सीधी भर्ती‘ नाम से प्रचारित किया गया है, जबकि यह प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा है। ऐसी ही प्रक्रिया अन्य विभागों में भी पूर्व से ही प्रचलित है। इस विभागीय परीक्षा का नाम विकृत करके गलत प्रचारित किया है जिससे आम जनमानस में एवं जनप्रतिनिधियों में गलत संदेश गया है।
- बैठक में यह निर्णय लिया गया कि हम सभी विभागीय परीक्षा समर्थक शिक्षक-शिक्षिकाएं राजकीय शिक्षक संघ के संघनिष्ठ सदस्य हैं। हम सभी, प्रवक्ता/प्रधानाध्यापक/प्रधानाचार्य विभागीय पदोन्नति प्रक्रिया का भी समर्थन करतें हैं किन्तु छात्रहित एवं जनहित में सरकार द्वारा प्रधानाचार्य सीमित विभागीय परीक्षा का भी पूर्ण समर्थन करते हैं। हमारा मानना है कि राज्य सरकार द्वारा इस परीक्षा को स्थगित करते हुए स्नातक वेतनक्रम मे सेवाएं दे चुके/दे रहे शिक्षकों को अवसर देने का जो निर्णय लिया गया है यह भी सराहनीय कदम है जिससे स्वस्थ प्रतिस्पर्धा प्रोत्साहित होगी एवं व्यापक समावेशन हो पायेगा। किन्तु प्रतियोगी परीक्षा की तिथि से कुछ दिन पूर्व भर्ती परीक्षा को निरस्त करने की मांग करना सर्वथा अनुचित है।
- बैठक में इस बात पर भी चर्चा हुई कि प्रधानाचार्य पद पदोन्नति के साथ साथ वर्तमान स्थापित व्यवस्था सीमित विभागीय परीक्षा के माध्यम से भी भरा जाय। इसी क्रम में बैठक में संज्ञान में लिया गया कि वर्तमान मे ंप्रधानाचार्य का पद एलटी तथा प्रवक्ता दोनों का ही पदोन्नति का पद नहीं है अपितु प्रधानाध्यापक पद से प्रधानाचार्य पद पर विभागीय पदोन्नति की जाती रही है। चूंकि आयोग द्वारा लेबल-12 पर कोई ’सीधी भर्ती’ की परीक्षा नहीं करवायी जाती है, इसलिए यह ’सीधी भर्ती’ ना होकर सीमित विभागीय परीक्षा है, जो कि पूर्णतः जनहित एवं छात्रहित में न्यायोचित है ।
- बैठक में यह भी भावना व्यक्त की गयी कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 भी शिक्षा में गुणवत्ता सुधार हेतु विद्यालयों में योग्यता के आधार पर शिक्षकों की अकादमिक नेतृत्व हेतु वर्टिकल मोबिलिटी की अनुशंसा करता है।
- बैठक में उपस्थित शिक्षक समुदाय द्वारा राज्य सरकार से अनुरोध किया गया कि छात्रहित एवं जनहित को सर्वाेपरि रखते हुए प्रधानाचार्यो के पदों पर आयोग के माध्यम से नियुक्ति प्रक्रिया जारी रखने तथा यथाशीघ्र संशोधित परीक्षा कार्यक्रम घोषित करने हेतु आवश्यक कार्यवाही करेंगे, ताकि प्रदेश की राजकीय शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता को सुदृढ़ किया जा सके।
इस अवसर पर विभिन्न जनपदों से उपस्थित वक्ताओं के रूप में मोनिका गौड, रश्मि नेगी, विनीता बहुगुणा, ललिता रावत, श्वेता भद्री, अरविन्द चौहान, शान्ति प्रसाद रतूडी, हर्षमणि चमोली, द्वारिका प्रसाद पुरोहित, डॉ. कमलेश मि़श्रा, डीएस भण्डारी, रवि चंद सिंह, आशीष चन्द्र रमोला, बृजेश पंवार, नरेन्द्र सिंह, राकेश उनियाल, नेत्रमणि बडोनी, बचन जितेला, डॉ. लक्ष्मण सिंह चैहान, नवीन चैहान, सीएल शाह, महावीर चरण, मनोज घुनियाल, राजेश रमोला, जवाहर मुकेश आदि सहित बडी संख्या में विभागीय परीक्षा समर्थक शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे।