Home उत्तराखण्ड आरटीआई में लापरवाही पर राज्य सूचना आयुक्त दलीप सिंह कुंवर सख्त, सहायक निबंधक सहकारी समितियां हरिद्वार पर दो मामलों में 50 हजार रुपये का जुर्माना, अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति

आरटीआई में लापरवाही पर राज्य सूचना आयुक्त दलीप सिंह कुंवर सख्त, सहायक निबंधक सहकारी समितियां हरिद्वार पर दो मामलों में 50 हजार रुपये का जुर्माना, अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति

by Skgnews

देहरादून : राज्य सूचना आयुक्त दलीप सिंह कुंवर ने सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत दायर शिकायत व अपील की सुनवाई करते हुए जिला सहायक निबंधक, सहकारी समितियां हरिद्वार एवं लोक सूचना अधिकारी पुष्कर सिंह पोखरिया पर कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने आरटीआई में लापरवाही और सूचना न देने के मामले में उन पर दो अलग-अलग प्रकरणों में 25-25 हजार रुपये, कुल 50 हजार रुपये की शास्ति अधिरोपित की है।

अपीलकर्ता की शिकायत सही पाई गई

आयोग के समक्ष अपीलकर्ता विजयपाल पुत्र कलीराम, निवासी महेशरा, पोस्ट गोरधनपुर, तहसील लक्सर, जनपद हरिद्वार द्वारा दायर अपीलों की सुनवाई की गई। सुनवाई के दौरान यह तथ्य सामने आया कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा समयबद्ध एवं विधिसम्मत सूचना उपलब्ध नहीं कराई गई।

अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति

राज्य सूचना आयुक्त ने मामले की गंभीरता को देखते हुए निबंधक, उत्तराखंड सहकारी समितियां, देहरादून को संबंधित अधिकारी के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई किए जाने की संस्तुति भी प्रेषित की है।

दूसरे प्रकरण में भी लगाया गया जुर्माना

इसी अपीलकर्ता से जुड़े एक अन्य प्रकरण में भी राज्य सूचना आयुक्त ने लोक सूचना अधिकारी पुष्कर सिंह पोखरिया को दोषी मानते हुए 25 हजार रुपये की अतिरिक्त शास्ति अधिरोपित की।

आरटीआई कानून के पालन का सख्त संदेश

राज्य सूचना आयोग के इस आदेश को सूचना अधिकार कानून के तहत जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में सख्त संदेश के रूप में देखा जा रहा है।

राज्य सूचना आयुक्त दलीप सिंह कुंवर ने की अपील पर सुनवाई, लगाया 25 हजार का जुर्माना 

सुनवाई के सापेक्ष पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार द्वारा पत्र दिनांक 19.08.2025 के माध्यम से आयोग को अवगत कराया गया कि “मा० उच्च न्यायालय में वाद की पैरवी हेतु जाना पड़ रहा है, जिस कारण अगली तिथि प्रदान करने की कृपा करें”। उक्त पत्र पर अपीलार्थी द्वारा अंकित कर हस्ताक्षर किए गए हैं कि “श्रीमान जी मुझे कोई आपत्ति नहीं है”। नैसर्गिक न्याय की दृष्टि से लोक सूचना अधिकारी के अनुरोध को स्वीकार किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। लोक सूचना अधिकारी को अन्तिम अवसर प्रदान करते हुए निर्देशित किया जाता है कि आयोग के गत आदेश दिनांक 25.06.2025 के प्रस्तर 06 एवं 07 में मांगे गये स्पष्टीकरण आगामी सुनवाई की तिथि से पूर्व आयोग को प्रेषित करते हुए सुनवायी की तिथि पर स्वयं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करेंगे।

सुनवाई के दौरान उपस्थित अपीलार्थी द्वारा आयोग को अवगत कराया गया कि आयोग के गत आदेश के अनुपालन में उन्हें अपूर्ण सूचना प्रेषित की गयी है। लोक सूचना अधिकारी को उपरोक्त कृत्य सूचना आयोग के आदेश की अवहेलना के समान है। अतः विभागीय अपीलीय अधिकारी को अन्तिम अवसर प्रदान करते हुए निर्देशित किया जाता है कि वे आयोग के आदेश प्राप्ति के 15 दिन के भीतर अनुरोध पत्र दिनांक 03.06. 2024 के बिन्दु संख्या 01 एवं 02 की पूर्ण एवं प्रमाणिक सूचना श्री पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार के माध्यम से अपीलार्थी को उपलब्ध कराना सुनिश्चित करेंगे।

आयोग द्वारा गत सुनवाई दिनांक 19.08.2025 के अनुपालन में कोई सूचना अपीलार्थी को प्रेषित नहीं की गयी है, इस संबंध में उपस्थित लोक सूचना अधिकारी द्वारा भी आयोग को कोई संतोषजनक उत्तरं नहीं दिया गया, जिससे स्पष्ट है कि लोक सूचना अधिकारी द्वारा अनुरोध पत्र के क्रम में एवं आयोग के आदेश के अनुपालन में कोई सूचना अपीलार्थी को प्रेषित नहीं की गयी है, जो सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का घोर उल्लंघन है।

पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/ जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार द्वारा पत्र संख्या 2411 दिनांक 18.08.2025 के माध्यम से स्पष्टीकरण आयोग को उपलब्ध कराया गया है, किन्तु उक्त स्पष्टीकरण में निर्गत नोटिस दिनांक 25.06.2025 अन्तर्गत धारा 20 (1) एवं (2) के संबंध में कोई संतोषजनक तथ्य अंकित नहीं किए गए हैं, लोक सूचना अधिकारी द्वारा अनुरोध पत्र के कम में एवं आयोग के आदेश के अनुपालन में कोई सूचना अपीलार्थी को प्रेषित नहीं की गयी है। अतः उक्तानुसार श्री पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार पर सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 20 (1) के अन्तर्गत रू0 25,000/- की शास्ति अधिरोपित की जाती है। पुष्कर सिंह पोखरिया को निर्देशित किया जाता है कि सूचना का अधिकार नियमावली, 2013 के नियम 11 (क) व (ड़) के अनुसार आयोग के आदेश प्राप्ति के 03 माह कि अवधि समाप्त होने पर राजकोष में जमा करेंगे तथा उनके द्वारा उक्त राशि राजकोष में जमा न कराये जाने पर निबंधक, सहकारी समितियां उत्तराखण्ड देहरादून उक्त राशि श्री पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार के वेतन/देयकों से कटौती कर तीन किश्तों में राजकोष में जमा करायेंगे तथा कृत कार्यवाही से आयोग को भी अवगत करायेंगे। शास्ति के निर्धारण में बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश संख्या Mr. Johnson B. Fernandes. Dy collector and SDO, Margaon, Public information officer (Under RTI Act) Vs The Goa State Information commission and Minguel Monterio, (2012) AIR (Bombay) 56 एवं एवं कर्नाटका उच्च न्यायालय के आदेश संख्या Sri Sijo Sebastain Vs Karnataka Information Commissioner Writ Petition No. 4913 of 2022 (GM-RES) के निर्णय का अनुपालन किया गया है।

अधिरोपित शास्ति ई-चालान के माध्यम से जमा की जा सकती है जिस हेतु http://ifms.uk.gov.in/e-chalan/elogin.aspx par Quick Pay के मध्यम से खाता शीर्ष (0070) other Addministration services के अन्तर्गत विस्तृत शीर्ष “0070601180100 Under Right to Information Act 2005” Services में जमा किया जाना है। ई-चालान के माध्यम से शास्ति जमा किए जाने की विस्तृत मार्गदर्शिका को आयोग की वेबसाइट http://uic.uk.gov.in में देखी या डाउनलोड भी की जा सकती है।

पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार द्वारा विभागीय अपीलीय अधिकारी एवं आयोग के बार-बार निर्देशित करने के बाद भी अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी, जो सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के उल्लंघन के साथ-साथ उच्चाधिकारियों एवं आयोग के आदेश की अवहेलना है। उनके द्वारा सूचना उपलब्ध कराने के प्रति अपनी हठधर्मीता का परिचायक देते हुए अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी। इस संबंध में अपीलार्थी द्वारा आयोग को अवगत कराया गया कि उनके द्वारा विभाग में की गयी अनियमित्ताओं को उजागर न किए जाने हेतु सूचना उपलब्ध नहीं करायी जा रही हैं। अतः गत सुनवाई में निर्गत नोटिस अन्तर्गत धारा 20 (2) के तहत् पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार, के लोक प्राधिकारी/निबंधक उत्तराखण्ड सहकारी समितियां देहरादून को उनके विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु संस्तुति प्रेषित की जाती है।

राज्य सूचना आयुक्त दलीप सिंह कुंवर ने की शिकायत पर सुनवाई, लगाया 25 हजार का जुर्माना 

सुनवाई में लोक सूचना अधिकारी स्वयं अथवा प्रतिनिधि के माध्यम से उपस्थित नहीं है, न ही उनके द्वारा अपुनस्थित होने के संबंध में कोई लिखित पत्र आयोग को प्रेषित किया गया। लोक सूचना अधिकारी के अनुपास्थित होने के आधार पर आयोग द्वारा उनके दूरभाष संख्या 09410135048 पर सम्पर्क किया गया, तो उनके द्वारा दूरभाष उठाकर काट दिया गया। आयोग द्वारा बार-बार सम्पर्क करने पर उनके द्वारा कोई जबाव नहीं दिया गया, जो उनकी घोर लापरवाही का द्योतक होने के साथ-साथ उनके उदासीन रवैये का प्रतीक है। आयोग इस पर घोर आपत्ति प्रकट करता है। इस संबंध में वे अपना स्पष्टीकरण आगामी सुनवाई की तिथि से पूर्व आयोग को प्रेषित करना सुनिश्चित करेंगे।

आयोग द्वारा पत्रावली में संलग्न अभिलेखों का सम्यक अवलोकन/परीक्षण किया गया। उपस्थित अपीलार्थी के मौखिक कथनों का सुना गया जिससे स्पष्ट हुआ कि आयोग के गत आदेश दिनांक 23.07.2024 के अनुपालन में श्री पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार द्वारा पत्र संख्या 1913-14 दिनांक 05.09.2024 के माध्यम से अपीलार्थी को अनुरोध पत्र के बिन्दु संख्या 01 लगायत 07 की सूचना प्रेषित की गयी, जबकि आयोग द्वारा 03 सप्ताह के भीतर सूचना प्रेषित करने हेतु निर्देशित किया गया था किन्तु उनके द्वारा लगभग 20 दिन विलम्ब से एवं अपूर्ण सूचना अपीलार्थी को प्रेषित की गयी है। आज सुनवाई के दौरान उपस्थित अपीलार्थी द्वारा उक्त सूचना प्राप्त होने से इंकार किया गया। अपीलार्थी द्वारा अनुरोध पत्र दिनांक 29.11.2023 प्रेषित करने के उपरांत विभागीय लोक सूचना अधिकारी के कारण आज लगभग 1 वर्ष 7 माह बाद भी अपीलार्थी को सूचना उपलब्ध नहीं करायी गयी है, जो सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 का घोर उल्लंघन है के साथ-साथ उच्चाधिकारियों के आदेश की अवहेलना है।

उपरोक्त त्रुटियों हेतु पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार को सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 की धारा-20 (1) के अन्तर्गत कारण बताओ नोटिस जारी किया जाता है कि क्यों न उन पर रू0 250/- (दो सौ पचास रूपये) प्रतिदिन की दर से अधिकतम रू0 25,000/- (पच्चीस हजार रूपये) की शास्ति अधिरोपित कर दी जाये? साथ ही क्यों न उनके विरूद्ध अधिनियम की धारा-20 (2) के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही हेतु उनके विभागाध्यक्ष को संस्तुति की जाये। इस संबंध में वे अपना लिखित स्पष्टीकरण संबंधित साक्ष्यों सहित आयोग को आगामी सुनवायी की तिथि से पूर्व प्रेषित करते हुए आगामी सुनवायी की तिथि पर स्वयं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करेंगे।

सुनवाई के सापेक्ष पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार द्वारा पत्र दिनांक 19.08.2025 के माध्यम से आयोग को अवगत कराया गया कि “मा० उच्च न्यायालय में वाद की पैरवी हेतु जाना पड़ रहा है, जिस कारण अगली तिथि प्रदान करने की कृपा करें”। उक्त पत्र पर अपीलार्थी द्वारा अंकित कर हस्ताक्षर किए गए हैं कि “श्रीमान जी मुझे कोई आपत्ति नहीं है”। नैसर्गिक न्याय की दृष्टि से लोक सूचना अधिकारी के अनुरोध को स्वीकार किया जाना न्यायोचित प्रतीत होता है। लोक सूचना अधिकारी को अन्तिम अवसर प्रदान करते हुए निर्देशित किया जाता है कि आयोग के गत आदेश दिनांक 25.06.2025 के प्रस्तर 06 एवं 07 में मांगे गये स्पष्टीकरण आगामी सुनवाई की तिथि से पूर्व आयोग को प्रेषित करते हुए सुनवायी की तिथि पर स्वयं व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर अपना पक्ष प्रस्तुत करना सुनिश्चित करेंगे।

आयोग द्वारा गत सुनवाई दिनांक 19.08.2025 के अनुपालन में कोई स्पष्टीकरण आयोग को उपलब्ध नहीं कराया गया है। आज सुनवाई में उपस्थित लोक सूचना अधिकारी के प्रतिनिधि से इस संबंध में पूछा गया कि आयोग द्वारा निर्णित अपील संख्या 40287 में पारित आदेश दिनांक 23.07.2024 के अनुपालन में दिनांक 05.09. 2024 को अपीलार्थी को सूचना प्रेषित की गयी है से संबंधित अभिलेख आयोग के समक्ष प्रस्तुत करें, किन्तु द्वारा कोई साक्ष्य / अभिलेख आयोग को उपलब्ध नहीं कराये गये। गत सुनवाई दिनांक 25.06.2025 में भी लोक सूचना अधिकारी द्वारा सूचना प्रेषित किए जाने संबंधी साक्ष्य / अभिलेख आयोग को उपलब्ध नहीं कराये गये, जिससे स्पष्ट हैं कि पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार द्वारा आयोग द्वारा निर्णित अपील संख्या 40287 में पारित आदेश दिनांक 23.07.2024 के अनुपालन में कोई सूचना शिकायतकर्ता को प्रेषित नहीं की गयी, न ही इस संबंध में अपना स्पष्टीकरण आयोग को प्रेषित किया गया। अतः उक्तानुसार पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार पर सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 20 (1) के अन्तर्गत रू0 25,000/- की शास्ति अधिरोपित की जाती है। पुष्कर सिंह पोखरिया को निर्देशित किया जाता है कि सूचना का अधिकार नियमावली, 2013 के नियम 11 (क) व (ड़) के अनुसार आयोग के आदेश प्राप्ति के 03 माह कि अवधि समाप्त होने पर राजकोष में जमा करेंगे तथा उनके द्वारा उक्त राशि राजकोष में जमा न कराये जाने पर निबंधक, सहकारी समितियां उत्तराखण्ड देहरादून उक्त राशि पुष्कर सिंह पोखरिया, लोक सूचना अधिकारी/जिला सहायक निबंधक, सहकारी, समितियां हरिद्वार के वेतन/देयकों से कटौती कर तीन किश्तों में राजकोष में जमा करायेंगे तथा कृत कार्यवाही से आयोग को भी अवगत करायेंगे। शास्ति के निर्धारण में मा० बॉम्बे उच्च न्यायालय के आदेश संख्या Mr. Johnson B. Fernandes. Dy collector and SDO, Margaon, Public information officer (Under RTI Act) Vs The Goa State Information commission and Minguel Monterio, (2012) AIR (Bombay) 56 एवं एवं मा० कर्नाटका उच्च न्यायालय के आदेश संख्या Sri Sijo Sebastain Vs Karnataka Information Commissioner Writ Petition No. 4913 of 2022 (GM-RES) के निर्णय का अनुपालन किया गया है।

 

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