Saturday, December 28th 2024

विश्व रंगमंच दिवस पर वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगाई सम्मानित

विश्व रंगमंच दिवस पर वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगाई सम्मानित
देहरादून : प्रतिष्ठित दून विश्वविद्यालय और उत्तर नाट्य संस्थान द्वारा दून विश्वविद्यालय में आयोजित विश्व रंगमंच दिवस समारोह में बुधवार को वरिष्ठ रंगकर्मी एस. पी. ममगाई को लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उत्तर नाट्य संस्थान ने वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगाई को रंगकर्म के क्षेत्र में उनके अविस्मरणीय योगदान के लिए सम्मानित करते हुए उनके दीर्घ जीवन की कामना की। विश्व रंगमंच दिवस पर उन्हें यह सम्मान सूचना विभाग के संयुक्त निदेशक केएस चौहान और दून विश्वविद्यालय के कुलसचिव एमएस मंद्रवाल ने प्रदान किया।
वरिष्ठ रंगकर्मी,  नाटक लेखक व अनुवादक के रूप में बहु‌आयामी प्रतिभा के धनी एस. पी. ममगाई का जन्म 9 अप्रैल 1945 को पौड़ी गढ़वाल के तिमली में हुआ। प्राराम्भक शिक्षा देहरादून में हुई प्राप्त करने के बाद लखनऊ चले गए और वहीं उच्च शिक्षा प्राप्त की। पहले उत्तर प्रदेश विद्युत विभाग और बाद में पृथक राज्य बनने के बाद ‘उत्तराखण्ड पावर कौरपोरेशन में अधिकारी के रूप में सेवाएं देने के बाद श्री ममगाई 2004 में सेवानिवृत्त हुए। छात्र जीवन के प्रारंभ में ही वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगाई ने वर्ष 1962 में पहले नाटक में अभिनय किया और उसके बाद पीछे मुड़ कर नहीं देखा। इस तरह पिछले 62 वर्षों से वे रंगकर्म के क्षेत्र में सतत साधनारत हैं। वे अब तक 199 से अधिक नाटकों में निर्देशन, अभिनय, पार्श्व पूर्व रंगमंच कार्य, नाट्‌य- लेखन तथा वर्षों पूर्व लिखित नाटकों को परिष्कृत कर उनका अनेक बार प्रदर्शन कर चुके हैं। इस तरह वे अब तक अपने नाटकों के हजारों शो कर चुके हैं।
वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगाई द्वारा निर्देशित नाटकों में प्रमुख रूप से ‘सरहद, पृथ्वीराज चौहान श्रीकृष्ण अवतार” ‘वीर अभिमन्यु एवं “एक और 1857” आदि हैं। वर्ष 1972 में दूरस्थ पर्वतीय क्षेत्र श्रीनगर (गढ़‌वाल) जिजा पौड़ी में नाट्य संस्था “सरस कला संगम” को स्थापना की। 1980 में श्रीनगर में ही शैलनट की स्थापना में योगदान दिया और बाद में देहरादून में मेघदूत नाट्य संस्था की स्थापना कर पौराणिक तथा ऐतिहासिक महत्व के अनेक नाटकों का मंचन किया। ऊषा अनिरुद्ध प्रणय, संजीवनी, ज्योतिर्मय पद्मिनी, भय बिनु होई न प्रीत हाल के वर्षों में उनके द्वारा मंचित नाटक काफी चर्चित रहे हैं। वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगाई प्रत्येक नये नाटक की प्रस्तुति के पूर्व   नये छात्र-छात्राओं व अन्य को नाट्य विधा में प्राशिक्षित करने के उद्देश्य से प्रस्तुति के अभ्यास के साथ-साथ नाट्‌य कार्यशाला का दो माह तक प्रशिक्षण देते हैं। एक तरह से नए कलाकारों के लिए वे चलते फिरते स्कूल हैं। उनके नाटकों में पार्श्व संगीत के रूप में लोक संगीत की प्रमुखता रहती आई है। इस कारण उनके नाटक ज्यादा चर्चित होते रहे हैं। क्षेत्रीयता का पुट होने से नाटकों को निखारने का उनका हुनर दर्शकों के सिर चढ़ कर बोलता रहा है।
वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगाई ने नागराजा सेम मुखेम पर अपने संसाधनों से एक आंचलिक फिल्म भी बनाई थी। 2007 में प्रदर्शित इस फिल्म ने आंचलिक दर्शकों को काफी प्रभावित किया था। उल्लेखनीय है कि दून विश्वविद्यालय में विश्व रंगमंच दिवस पर एक सप्ताह का नाट्य समारोह शुरू हुआ है। इस समारोह के मौके पर ही वरिष्ठ रंगकर्मी एसपी ममगाई को उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन नवनीत गैरोला ने किया।