Thursday, November 28th 2024

हिंदी को राष्ट्रभाषा और संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के लिए किया गया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन

हिंदी को राष्ट्रभाषा और संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने के लिए किया गया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन आयोजन
 हरिद्वार :  हिंदी को राष्ट्रभाषा और संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाने हेतु तीर्थ नगरी हरिद्वार के ऋषिकुल विश्वविद्यालय में एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गयाl जिसमें देश के पूर्व शिक्षा मंत्री, पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार के सांसद डॉक्टर रमेश पोखरियाल निशंक के सानिध्य में अनेको देशों के मूर्धन्य विद्वान, एवं हिंदी प्रेमी जनों ने इस सम्मेलन में शिरकत की। इस अवसर पर साहित्यकार और पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि हिंदी आज विश्व में तेजी से लोकप्रिय हो रही भाषा है । आने वाला समय हिंदी का ही है। डॉक्टर निशंक ने कहा कि आज आजादी के 75 वर्ष बाद भी हिंदी को अपने ही देश में जो सम्मान  मिलना चाहिए वह अभी तक नहीं मिल पा रहा है। लेकिन यह दुखद है कि अंग्रेजी की मानसिकता वाले लोगों ने षड्यंत्र के तहत हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के रास्ते में रोड़े अटकाए हैं। उन्होंने कहा कि आज विश्व हिंदी दिवस पूरे विश्व में मनाया जा रहा है। हिंदी को संयुक्त राष्ट्र संघ की भाषा बनाने के साथ ही राष्ट्रभाषा बनाने के लिए उत्तराखंड की पावन तीर्थ भूमि हरिद्वार के मां गंगा तट से संकल्प लिया जा रहा है।
वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष डॉ. अनिल जोशी ने कहा कि हिंदी को आज विश्व के अनेक विश्वविद्यालय में पढ़ाया जा रहा है. अब हिंदी पढ़ने वाले दूरदराज ग्रामीण अंचल की छात्र -छात्राओं को भी अनेकों अवसर उपलब्ध होंगे। ब्रिटेन से आई जय वर्मा ने कहां की विदेश में रहने के बावजूद भी हम लोग अपनी भाषा और अपने देश को अथाह प्यार करते हैं और वहां भी हिन्दी की अलख जगाए हुए हैं। कनाडा से आई स्नेह ठाकुर ने कहा कि वह पिछले कई वर्षों से हिंदी की पत्रिका निकाल रही है और हिंदी का प्रचार- प्रसार अनेक देशों में कर रही है।
 वैश्विक हिंदी परिवार, हिमालय विश्वविद्यालय, एस. एम. जे. एन. कॉलेज और हिमालय विरासत ट्रस्ट के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में ब्रिटेन से दिव्या माथुर, कनाडा से शैलजा सक्सेना, अमेरिका से अनूप भार्गव, ब्रिटेन से जय वर्मा, लंदन से कृष्णा टंडन, जापान से राम शर्मा, कनाडा से स्नेहा ठाकुर ,आयरलैंड से अभिषेक त्रिपाठी,रुस से इंद्रजीत सिंह, उज़्बेकिस्तान से उल्फत मुखीबोबा के साथ-साथ डॉक्टर मधु चतुर्वेदी, वैश्विक हिंदी परिवार के अध्यक्ष डॉ. अनिल जोशी, पतंजलि विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति डॉ. महावीर अग्रवाल, एस. एम. जे. एन. पीजी कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुनील कुमार बत्रा, हिमालय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. काशीनाथ जैना, दिल्ली विश्वविद्यालय के डॉ. वेद प्रकाश, राजकीय  आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय के डॉ. नरेश चौधरी, चमन लाल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सुशील उपाध्याय, साहित्यकार डॉ. योगेंद्र नाथ शर्मा ‘अरुण’,डॉ. श्रीगोपाल नारसन, डॉ. बेचैन  शर्मा, नकली राम सैनी, अमरीश गर्ग, हर्ष कुमार दौलत, राजेश पालीवाल, केपी सिंह, सतीश कुमार, अरविंद अग्रवाल, सचिन शर्मा, आशीष झा, डॉ.ममता कुँवर, रामकुमार शर्मा, डॉ. मोना शर्मा, डॉ. आशा शर्मा ,रिंकल गोयल, कमला जोशी, डॉ. संजय महेश्वरी, अन्नया भटनागर सहित अनेक गणमान्य एवं शिक्षाविद उपस्थित थे. कार्यक्रम का संचालन डॉ. वेद प्रकाश ने किया