रीप परियोजना से मिली मदद, दिव्यांग गीता देवी बनी आत्मनिर्भरता की मिसाल, कमजोरी को बनाया ताकत, सिलाई प्रशिक्षण और यूनिट से परिवार को दी आर्थिक मजबूती

- “रीप परियोजना से मिली मदद, दिव्यांग गीता देवी बनी आत्मनिर्भरता की मिसाल”
- “गीता देवी ने कमजोरी को बनाया ताकत, आत्मनिर्भर भारत की राह में बनी प्रेरणा”
- “सिलाई प्रशिक्षण और यूनिट से परिवार को दी आर्थिक मजबूती”
टिहरी : जनपद टिहरी गढ़वाल के थौलधार ब्लॉक के ग्राम बसण्डा की निवासी गीता देवी ने शारीरिक दिव्यांगता को अपनी कमजोरी नहीं बल्कि ताकत बनाकर आत्मनिर्भरता की नई मिसाल पेश की है। गीता देवी जन्म से ही दिव्यांग हैं। उनके दाएं हाथ की उंगलियां और हड्डियां पूरी तरह विकसित नहीं हैं, जिससे सामान्य कार्य करना भी चुनौतीपूर्ण था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और संघर्ष के साथ आगे बढ़ीं।
रीप परियोजना के अंतर्गत गीता देवी को ₹35,000 की वित्तीय सहायता प्रदान की गई। इस सहायता राशि से उन्होंने सिलाई मशीन और कपड़ा सामग्री खरीदकर अपना टेलरिंग यूनिट स्थापित किया। साथ ही उन्हें परियोजना के अंतर्गत सिलाई का प्रशिक्षण भी मिला। प्रशिक्षण और कड़ी मेहनत के परिणामस्वरूप आज गीता देवी प्रति माह ₹6,000 से ₹7,000 तक की आय अर्जित कर रही हैं और अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं।
गीता देवी ने बताया कि रीप परियोजना उनके जीवन में नई उम्मीद लेकर आई। इसने उन्हें आत्मनिर्भर बनने के साथ समाज में नई पहचान दी है। गीता देवी आज अन्य महिलाओं और दिव्यांगजनों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं।
भविष्य की योजनाओं के बारे में गीता देवी बताती हैं कि वे अपनी टेलरिंग यूनिट का विस्तार करना चाहती हैं और और अधिक सिलाई मशीनें जोड़कर अन्य ग्रामीण महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ने की योजना बना रही हैं। उनका कहना है कि यदि अवसर और सही मार्गदर्शन मिले तो कोई भी कमजोरी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती।
क्या कहते है अधिकारी
मुख्य विकास अधिकारी वरुणा अग्रवाल ने गीता देवी की सफलता पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने बताया कि ग्रामोत्थान परियोजना के जरिए स्वयं सहायता समूहों को लगातार प्रेरित किया जा रहा है, ताकि वे स्वरोजगार के लिए आगे आएं। मुख्य विकास अधिकारी वरुणा अग्रवाल ने बताया कि ग्रामोत्थान परियोजना के जरिये स्वयं सहायता समूहों को आत्मनिर्भर बनाकर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जा रहा हैं । जनपद टिहरी गढ़वाल में लगभग 90 महिलाएं स्वरोजगार कर आत्मनिर्भर बनी हैं । जिलें में अन्य लोगों को भी ग्रामोत्थान के जरिये स्वरोजगार से जोड़कर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा । ग्रामोत्थान परियोजना के जरिये 30 हजार रूपये से लेकर 10 लाख रूपये तक का अनुदान दिया जाता हैं । जिसमें लाभार्थी का अंश 10 प्रतिशत, ऋण 30 प्रतिशत एवं 60 प्रतिशत अनुदान दिया जाता हैं ।