भारत सरकार और मणिपुर सरकार ने घाटी स्थित मणिपुर के सबसे पुराने हथियारबंद समूह यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट के साथ शांति समझौते पर किये हस्ताक्षर
यह समझौता पूरे पूर्वोत्तर, विशेषकर मणिपुर में शांति के एक नए युग की शुरूआत को बढ़ावा देने वाला है
गृह मंत्री ने कहा कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में UNLF का स्वागत करते हैं और शांति व प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में भारत सरकार ने उग्रवाद समाप्त करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए 2014 से पूर्वोत्तर के कई सशस्त्र समूहों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं
पहली बार घाटी स्थित मणिपुरी हथियारबंद समूह हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने और भारत के संविधान और देश के कानून का सम्मान करने पर सहमत हुआ है
यह समझौता न केवल UNLF और सुरक्षा बलों के बीच विरोध को समाप्त करेगा, जिसने पिछली आधी शताब्दी से अधिक समय से दोनों पक्षों की ओर से बहुमूल्य ज़िंदगियां ली हैं, बल्कि समुदाय की दीर्घकालिक चिंताओं को दूर करने का अवसर भी प्रदान करेगा
मुख्यधारा में UNLF की वापसी से घाटी स्थित अन्य सशस्त्र समूह भी आने वाले समय में शांति प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे
नई दिल्ली : एक ऐतिहासिक घटनाक्रम में, भारत सरकार और मणिपुर सरकार ने घाटी स्थित मणिपुर के सबसे पुराने हथियारबंद समूह, यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट (UNLF) के साथ शांति समझौते पर आज नई दिल्ली में हस्ताक्षर किए। यूएनएलएफ का गठन 1964 में हुआ था और यह भारतीय क्षेत्र के भीतर और बाहर दोनों जगह काम कर रहा है। यह समझौता पूरे पूर्वोत्तर, विशेषकर मणिपुर में शांति के एक नए युग की शुरूआत को बढ़ावा देने वाला है।
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने इसे एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल बताया है। ‘एक्स’ पर अपने पोस्ट में गृह मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सर्व-समावेशी विकास के दृष्टिकोण को साकार करने और पूर्वोत्तर भारत में युवाओं को बेहतर भविष्य प्रदान करने की दिशा में यह एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। गृह मंत्री ने कहा कि वे लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में UNLF का स्वागत करते हैं और शांति व प्रगति के पथ पर उनकी यात्रा के लिए उन्हें शुभकामनाएं देते हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के विज़न और केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के मार्गदर्शन में भारत सरकार ने उग्रवाद समाप्त करने और विकास को बढ़ावा देने के लिए 2014 से पूर्वोत्तर के कई सशस्त्र समूहों के साथ समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत सरकार की संघर्ष समाधान पहल के हिस्से के रूप में उत्तरपूर्व के कई जातीय सशस्त्र समूहों के साथ राजनीतिक समझौतों को अंतिम रूप दिया गया है, ये पहली बार है जब घाटी स्थित मणिपुरी हथियारबंद समूह हिंसा छोड़कर मुख्यधारा में लौटने और भारत के संविधान और देश के कानून का सम्मान करने पर सहमत हुआ है। यह समझौता न केवल UNLF और सुरक्षा बलों के बीच विरोध को समाप्त करेगा, जिसने पिछली आधी शताब्दी से अधिक समय से दोनों पक्षों की ओर से बहुमूल्य ज़िंदगियां ली हैं, बल्कि समुदाय की दीर्घकालिक चिंताओं को दूर करने का अवसर भी प्रदान करेगा। मुख्यधारा में UNLF की वापसी से घाटी स्थित अन्य सशस्त्र समूह भी आने वाले समय में शांति प्रक्रिया में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित होंगे। सहमत जमीनी नियमों के कार्यान्वयन की निगरानी के लिए एक शांति निगरानी समिति (PMC) का गठन किया जाएगा। यह समझौता राज्य में शांति और सामान्य स्थिति बहाल करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
नई दिल्ली में आज हुए इस समझौते पर केन्द्रीय गृह मंत्रालय और मणिपुर सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों और यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट के प्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए।