Sunday, November 24th 2024

One Nation One Election को मोदी कैबिनेट की मंजूरी

One Nation One Election को मोदी कैबिनेट की मंजूरी

नई दिल्ली : One Nation One Election देश में विधानसभा और लोकसभा के चुनाव एक साथ करवाने की राह अब आसान हो गई है। एक देश एक चुनाव के प्रस्ताव को आज मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी की रिपोर्ट के बाद इस प्रस्ताव को कैबिनेट में मंजूरी मिल गई है।

बुधवार को मोदी कैबिनेट ने देश में सभी चुनाव एक साथ करवाने के लिए बनी रामनाथ कोविंद कमिटी की रिपोर्ट के पास कर दिया. इसके बाद देश में ‘एक देश, एक चुनाव’ की राह से सस्पेंस दूर हो गया है. पिछले दिनों गृह मंत्री अमित शाह ने भी साफ किया था कि मोदी सरकार के इसी कार्यकाल में देश का यह सबसे बड़ा चुनाव सुधार लागू हो जाएगा. मोदी सरकार ने अपने पिछले कार्यकाल में ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी. रामनाथ कोविंद कमिटी को जिम्मेदारी दी गई थी क कि वह देश मे एक साथ चुनाव करवाने की संभावनाओं पर रिपोर्ट दे. समिति ने अपनी रिपोर्ट इस साल मार्च में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी थी. बुधवार को मोदी कैबिनेट की बैठक में रिपोर्ट पर चर्चा की गई और ने सैद्धांतिक तौर पर मंजूरी दे दी गई. 

कैबिनेट की मंजूरी के बाद अब आगे क्या

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए कहा कि कमिटी की सिफारिशों पर देश की सभी मंचों पर इस पर चर्चा की जाएगी. सभी नौजवानों, कारोबारियों, पत्रकारों समेत सभी संगठनों से इस पर बात होगी. इसके बाद इसे लागू करने के लिए ग्रुप बनाया जाएगा. फिर कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इसे लागू किया जाएगा।   

क्या थीं कोविंद कमेटी की सिफारिशें, 3 बड़ी बातें

  1. 191 दिनों तक विशेषज्ञों और स्टेकहोल्डर्स से विचार के बाद 18 हजार 626 पन्नों की रिपोर्ट दी गई. इसमें सभी राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल बढ़ाकर 2029 तक करने का सुझाव दिया गया है, ताकि लोकसभा के साथ राज्यों के विधानसभा चुनाव कराए जा सकें.
  2. कोविंद कमेटी की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि नो कॉन्फिडेंस मोशन या हंग असेंबली की स्थिति में 5 साल में से बचे समय के लिए नए चुनाव कराए जा सकते हैं. पहले चरण में विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जाएं. वहीं, दूसरे चरण में 100 दिनों के अंदर स्थानीय निकायों के चुनाव हो सकते हैं.
  3. इन चुनावों के लिए चुनाव आयोग, लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के लिए वोटर लिस्ट तैयार कर सकता है. इसके अलावा सुरक्षा बलों के साथ प्रशासनिक अफसरों, कर्मचारियों और मशीन के लिए एडवांस में योजना बनाने की सिफारिश की गई है.

कौन-कौन था 8 सदस्यों वाली कोविंद कमेटी में?

इस कमेटी में आठ सदस्य थे. जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे, गृहमंत्री अमित शाह, कांग्रेस नेता अधीररंजन चौधरी, डीपीए नेता नेता गुलाब नबी शामिल थे. इनके अलावा 15वें वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ. सुभाष कश्यप और पूर्व मुख्य सतर्कता आयुक्त संजय कोठारी भी इस कमेटी का हिस्सा थे. अभी देश में वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू करने पर कई राज्यों में विधानसभा का कार्यकाल घटेगा, खासकर उन राज्यों में जहां पर 2023 में चुनाव हुिए हैं. ऐसे में उनका कार्यकाल बढ़ाया जा सकता है. रिपोर्ट में यह कहा गया है कि विधि आयोग के प्रस्ताव पर अगर सभी दल सहमत होते हैं तो यह मॉडल 2029 में लागू किया जा सकता है.

पहले लागू था ऐसा ही मॉडल फिर क्यों हुआ बदलाव?

भारत में वन नेशन वन इलेक्शन की तर्ज पर पहले भी चुनाव हुए हैं. आजादी के बाद 1951 से 1967 के बीच के चुनाव पांच साल में होते रहे हैं. इस दौरान लोकसभा के साथ ही विधानसभाओं के चुनाव भी होते थे. साल 1952, 1957, 1962 और 1967 में एक साथ चुनाव हुए. बाद में कुछ राज्यों का पुनर्गठन हुआ और कुछ नए राज्य बनाए गए. इस तरह चुनाव का समय अलग-अलग हो गया. नतीजा अलग-अलग समय पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव होने लगे.

किन-किन देशों में वन नेशन-वन इलेक्शन का मॉडल लागू?

दुनिया के कई ऐसे देश हैं जहां वन नेशन-वन इलेक्शन वाला मॉडल लागू है. इसमें अमेरिका अमेरिका, फ्रांस, स्वीडन, कनाडा जैसे देश शामिल हैं. अमेरिका में तय तारीख को राष्ट्रपति और सीनेट के लिए चुनाव होते हैं. फ्रांस में संसद का निचला सदन यानी नेशनल असेंबली है. यहां नेशनल असेंबली के साथ संघीय सरकार के प्रमुख राष्ट्रपति के साथ ही राज्यों के प्रमुख और प्रतिनिधियों का चुनाव कराया जाता है. स्वीडन में स्थानीय सरकार और संसद के चुनाव हर चार साल में एक साथ होते हैं.