चेन्नई: मद्रास हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में क्रिप्टोकरेंसी को भारतीय कानून के तहत संपत्ति माना है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि भले ही क्रिप्टोकरेंसी कानूनी मुद्रा नहीं है, लेकिन इसमें संपत्ति के सभी गुण मौजूद हैं। यह फैसला एक निवेशक की याचिका पर आया, जिसके XRP क्वॉइन वजीरएक्स प्लेटफॉर्म पर साइबर हमले के बाद फ्रीज कर दिए गए थे।
निवेशक की याचिका और साइबर हमला
जस्टिस आनंद वेंकटेश ने 54 पन्नों के अपने फैसले में कहा, “क्रिप्टोकरेंसी न तो भौतिक संपत्ति है और न ही मुद्रा, लेकिन यह एक ऐसी संपत्ति है जिसे व्यक्ति अपने पास रख सकता है या ट्रस्ट में रख सकता है।” याचिकाकर्ता ने जनवरी 2024 में वजीरएक्स पर 1,98,516 रुपये का निवेश कर 3,532.30 XRP क्वॉइन खरीदे थे। जुलाई 2024 में वजीरएक्स पर हुए साइबर हमले में करीब 230 मिलियन डॉलर के Ethereum और ERC-20 टोकन चोरी हो गए, जिसके बाद प्लेटफॉर्म ने सभी यूजर अकाउंट्स फ्रीज कर दिए। इससे निवेशक अपने XRP क्वॉइन तक नहीं पहुंच पाए।
निवेशक की दलील और कोर्ट का निर्णय
निवेशक ने कोर्ट में दलील दी कि उनके XRP क्वॉइन चोरी हुए टोकनों से अलग हैं और वजीरएक्स उनकी संपत्ति को ट्रस्ट कस्टोडियन के रूप में संभाल रहा था। उन्होंने मांग की कि कंपनी को उनके क्वॉइन को पुनर्वितरित या इस्तेमाल करने से रोका जाए। वजीरएक्स की भारतीय ऑपरेटर कंपनी Zanmai Labs ने दावा किया कि असली मालिकाना हक सिंगापुर की Zettai Pte Ltd के पास है, जो साइबर हमले के बाद पुनर्गठन की प्रक्रिया में है। कंपनी ने कहा कि सिंगापुर हाईकोर्ट की मंजूरी के तहत नुकसान को सभी यूजर्स में ‘प्रो-राटा’ आधार पर बांटा जाएगा।
हालांकि, मद्रास हाईकोर्ट ने माना कि निवेशक का लेनदेन भारत से हुआ था, इसलिए उसे अधिकार क्षेत्र प्राप्त है। कोर्ट ने कहा कि ब्लॉकचेन पर मौजूद क्रिप्टो टोकन पहचाने जा सकते हैं, ट्रांसफर किए जा सकते हैं और निजी कुंजी के जरिए नियंत्रित किए जा सकते हैं, जो संपत्ति के गुण हैं। कोर्ट ने भारतीय मामलों जैसे अहमद जीएच आरीफ बनाम CWT और जिलूभाई नानभाई खाचर बनाम स्टेट ऑफ गुजरात का हवाला देते हुए संपत्ति की परिभाषा को रेखांकित किया। साथ ही, रूस्कॉ बनाम क्रिप्टोपिया और AA बनाम पर्सन अननोन जैसे अंतरराष्ट्रीय मामलों का भी जिक्र किया, जहां क्रिप्टो को संपत्ति माना गया।
XRP क्वॉइन पर कोर्ट का रुख
कोर्ट ने पाया कि साइबर हमले में केवल Ethereum और ERC-20 टोकन चोरी हुए थे, जबकि निवेशक के 3,532.30 XRP क्वॉइन उससे पूरी तरह अलग थे। इसलिए, वजीरएक्स का इन क्वॉइन पर दावा या उन्हें पुनर्वितरण योजना में शामिल करना गलत है। कोर्ट ने कहा कि अगर सिंगापुर की पुनर्गठन योजना के तहत निवेशक की संपत्ति का मूल्य घटाया गया, तो वे कमजोर पक्ष बन जाएंगे।
कोर्ट का आदेश
मद्रास हाईकोर्ट ने Zanmai Labs और उसके निदेशकों को आदेश दिया कि वे निवेशक के 3,532.30 XRP क्वॉइन को पुनर्वितरित, बांट या पुनः आवंटित न करें, जब तक कि मध्यस्थता में अंतिम फैसला नहीं आ जाता। यह फैसला क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति के रूप में मान्यता देने वाला भारत में पहला बड़ा कदम है, जो भविष्य में इस क्षेत्र के लिए कानूनी ढांचे को मजबूत कर सकता है।
निवेशकों के लिए राहत
यह फैसला उन निवेशकों के लिए राहत की खबर है, जो क्रिप्टोकरेंसी में निवेश करते हैं और साइबर हमलों या प्लेटफॉर्म की मनमानी के कारण अपनी संपत्ति खोने के डर से जूझ रहे हैं। कोर्ट का यह कदम क्रिप्टोकरेंसी के कानूनी दर्जे को स्पष्ट करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

