Uniform Civil Code : मंजिल की दहलीज तक पहुंचे सीएम धामी के कदम, सभी के लिए एक समान होगा कानून

Uniform Civil Code : मंजिल की दहलीज तक पहुंचे सीएम धामी के कदम, सभी के लिए एक समान होगा कानून
 
देहरादून। याद करिए ! 12 फरवरी 2022 का वो दिन जब मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था कि भाजपा को दुबारा सत्ता मिली तो उनकी सरकार राज्य में समान नागरिक संहिता लागू करेगी। उस वक्त अधिकांश लोगों ने यह कहकर कि यूसीसी पर निर्णय लेने का अधिकार सिर्फ केन्द्र सरकार के पास है, उनके इस बयान को हवा में उड़ा दिया। लेकिन धामी अपनी धुन के पक्के निकले। दुबारा मुख्यमंत्री बनते ही उन्होंने सबसे पहले समान नागरिक संहिता पर हाईपॉवर कमेटी का गठन कर दिया। यह कमेटी समाज के हर तबके और सभी धर्मों के जानकारों से सुझाव लेकर ड्राफ्ट तैयार कर आज मुख्यमंत्री धामी को सौंप चुकी है।
समान नागरिक संहिता का मतलब है सभी धर्मों के लिए एक ही कानून। इसके जरिए हर धर्म के लोगों को एक समान कानून की परिधि में लाया जाएगा। शादी, तलाक, संपत्ति और गोद लेने समेत तमाम विषय इसमें शामिल होंगे। भले ही कुछ लोग इसे राजनीतिक मुद्दा समझें और सियासी मोड़ दें, लेकिन हाईकोर्ट (खासकर दिल्ली हाईकोर्ट) से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक यूनिफॉर्म सिविल कोड को देश में लागू करने के पक्ष में हैं। सुप्रीम कोर्ट मौजूदा केंद्र सरकार से इस संबंध में अब तक की गई कोशिशों के बारे में पूछ चुका है, जिसमें केंद्र सरकार ने कहा है कि भारतीय विधि आयोग से राय मांगी गई है। इधर, भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनाव के घोषणा पत्र में देश में समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया था।
इसी क्रम में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की पहल को महत्वपूर्ण माना जा रहा है। हालांकि, राज्य सरकार अपने यहां समान नागरिक संहिता लागू कर सकती हैं या नहीं इसके लेकर अब तक दो बातें सामने आ रही थीं। कुछ लोगों का कहना था कि उत्तराखण्ड हो या कोई भी राज्य, वहां की सरकार ‘समान नागरिक संहिता’को लागू करने की अधिकारी नहीं है, यह अधिकार सिर्फ केंद्र सरकार को (संविधान की धारा 44 और 12 के तहत) है। ऐसे में समान नागरिक संहिता को संसद के जरिए ही लागू किया जा सकता है। लेकिन, कुछ लोग इस मामले में गोवा का उदाहरण देते हैं। गोवा देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां समान नागरिक संहिता लागू है। लेकिन इस राज्य को अपवाद माना गया है। इसलिए अपवाद माना गया है क्योंकि गोवा में 1961 से पुर्तगाल सिविल कोड लागू है इसलिए वहां ये व्यवस्था मान्य है। फिर भी इस मसले में राज्यों के अधिकार को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं थी लेकिन इस पर अब मुख्यमंत्री धामी के स्टैंड से साफ है कि राज्य नई UCC लागू करने में कोई वैधानिक अड़चन नहीं है। राज्य सरकार ने संवैधानिक के हर पहलू पर विचार करके अपने कदम आगे बढ़ाए हैं, जो मंजिल की दहलीज तक पहुंच चुके हैं।

  काबिलेगौर है कि देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह भी सार्वजनिक मंचों पर कह चुके हैं कि यूसीसी देश की जरूरत है। भाजपाशासित राज्यों में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। इसकी ठोस और प्रभावी पहल उत्तराखण्ड से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कर चुके हैं। उनकी दृढ़ इच्छाशक्ति का ही नतीजा है कि जल्द ही यूसीसी कानून की शक्ल में देवभूमि में लागू होने जा रहा है।