भाजपा को बड़ा झटका, पूर्व इस्पात मंत्री बीरेंद्र चौधरी ने की कांग्रेस ज्वाइन
नई दिल्ली। लगातार कांग्रेस को झटका दे रही भाजपा को भी एक झटका कांग्रेस ने दे दिया है। हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मजबूत स्तंभ रहे सर छोटूराम के नाती चौधरी बीरेंद्र ने भाजपा से इस्तीफा दे अपनी पूर्व विधायक रही पत्नी प्रेमलता के साथ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण कर ली। हरियाणा की राजनीति में चौधरी बीरेंद्र के परिवार का बड़ा प्रभाव रहा है, इसीलिए चुनाव के वक्त पर चौधरी बीरेंद्र जो कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में इस्पात मंत्री बनाए गए थे, का भाजपा छोड़ कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करना हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में भाजपा के लिए एक बड़ा झटका बताया जा रहा है, हालांकि मीडिया में इस खबर को लो प्रोफाइल रखा गया है, ताकि भाजपा को हुए नुकसान की सार्वजनिक चर्चा कम हो।
चौ. छोटूराम ने राष्ट्र के स्वाधीनता संग्राम में डटकर भाग लिया था। १९१६ में पहली बार रोहतक में कांग्रेस कमेटी का गठन हुआ जिसमें चौ. छोटूराम रोहतक कांग्रेस कमेटी के प्रथम प्रधान बने थे। सारे जिले में चौधरी छोटूराम का आह्वान अंग्रेजी हुकूमत को कंपकपा देता था। चौधरी साहब के लेखों और कार्य को अंग्रेजों ने बहुत ‘भयानक’ करार दिया। फलस्वरूप रोहतक के डिप्टी कमिश्नर ने तत्कालीन अंग्रेजी सरकार से चौधरी छोटूराम को देश-निकाले की सिफारिश कर दी।
पंजाब सरकार ने अंग्रेज हुकमरानों को बताया कि चौधरी छोटूराम अपने आप में एक क्रांति हैं, उनका देश निकाला गदर मचा देगा, खून की नदियां बह जायेंगी। किसानों का एक-एक बच्चा चौधरी छोटूराम हो जायेगा। अंग्रेजों के हाथ कांप गए और कमिश्नर की सिफारिश को रद्द कर दिया गया।
चौधरी छोटूराम, लाला श्याम लाल और उनके तीन वकील साथियों, नवल सिंह, लाला लालचंद जैन और खान मुश्ताक हुसैन ने रोहतक में एक ऐतिहासिक जलसे में मार्शल के दिनों में साम्राज्यशाही द्वारा किए गए अत्याचारों की घोर निन्दा की। सारे इलाके में एक भूचाल सा आ गया। अंग्रेजी हुकमरानों की नींद उड़ गई। चौधरी छोटूराम व इनके साथियों को नौकरशाही ने अपने रोष का निशाना बना दिया और कारण बताओ नोटिस जारी किए गए कि क्यों न इनके वकालत के लाइसेंस रद्द कर दिये जायें। मुकदमा बहुत दिनों तक सैशन की अदालत में चलता रहा और आखिर चौधरी छोटूराम की जीत हुई। यह जीत नागरिक अधिकारों की जीत थी।
सन् १९२५ में राजस्थान में पुष्कर के पवित्र स्थान पर चौधरी छोटूराम ने एक ऐतिहासिक जलसे का आयोजन किया। सन् 1934 में राजस्थान के सीकर शहर में किराया कानून के विरोध में एक अभूतपूर्व रैली का आयोजन किया गया, जिसमें १०००० जाट किसान शामिल हुए। यहां पर जनेऊ और देसी घी दान किया गया, महर्षि दयानन्द सरस्वती के सत्यार्थ प्रकाश के श्लोकों का उच्चारण किया गया। इस रैली से चौधरी छोटूराम भारतवर्ष की राजनीति के स्तम्भ बन गए।