Friday, November 15th 2024

जानें कॉर्बेट नेशनल पार्क के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी एवं रोचक तथ्य ………

जानें कॉर्बेट नेशनल पार्क के बारें में महत्वपूर्ण जानकारी एवं रोचक तथ्य ………
देहरादून : अदभुत कॉर्बेट नेशनल पार्क – हैली नेशनल पार्क भारत का  पहला नेशनल पार्क है, बल्कि यह भारतीय उपमहाद्वीप का भी पहला नेशनल पार्क है, जिसकी स्थापना 8 अगस्त 1936 को हुई थी। यूनाइटेड प्रोविन्स के गर्वनर सर विलियम मेलकॉम हैली के प्रयासों के कारण यह पार्क उनके नाम पर ही रखा गया था। अमेरिका के येलोस्टोन नेशनल पार्क और अफ्रीका के क्रूगर नेशनल पार्क के बाद यह दुनिया का तीसरा नेशनल पार्क था। जब लोग नेशनल पार्क का कॉन्सेप्ट और उद्देश्य भी नहीं समझते थे, तब भारत में हैली नेशनल पार्क की स्थापना की गई थी, जो हमारे लिए दुगने गर्व का विषय है कि यह आजकल उत्तराखंड में स्थित है।
1947 में आज़ादी के बाद इसका नाम रामगंगा नेशनल पार्क कर दिया गया। 1956 में, पार्क का नाम एक बार पुनः स्वर्गीय जिम कॉर्बेट महान प्रकृतिवादी, प्रख्यात संरक्षणवादी की स्मृति में कॉर्बेट नेशनल पार्क कर दिया गया। यह नैनीताल, पौड़ी और अल्मोड़ा जिलों में विस्तारित है। इसका कुछ भाग अमानगढ़, उत्तरप्रदेश में भी चला गया है।
यह कॉर्बेट पार्क मेरा सबसे पसंदीदा स्थान है, न केवल इसलिए कि मैंने इसमें वन सेवा की, बल्कि इसलिए कि इसकी भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक वन इतने सघन और मनोहारी हैं कि पूरा जीवन वन्यजीवों के मध्य बिताया जा सकता है। मेरा ऐसा मानना है कि भगवान न करे कि कभी टाइगर इस धरती से विलुप्त हो,परन्तु यदि कभी इस खूबसूरत प्रजाति पर संकट आया तो कॉर्बेट पार्क की जमीन में वह ताकत है कि इसे सदैव बचा कर रख सकती है, और टाइगर के संरक्षण में एक विशिष्ट भूमिका निभाने में सक्षम है।
आज के दिन, मेरा उन महान वनकर्मियों को सलाम, जो आजकल कॉर्बेट टाइगर रिज़र्व में कार्यरत है, और उन्हें भी जो 1936 से लेकर आज तक इसमें संरक्षण कार्य करने हेतु सौभाग्यशाली रहें है,  जिनके अथक परिश्रम और निष्ठा से टाइगर अभी ज़िन्दा है! आज का दिन मेरे जीवन का एक स्मरणीय दिवस है, क्योंकि 8 अगस्त 1991 को मैंने कॉर्बेट पार्क को जॉइन किया था। उसदिन मुझे आश्चर्य हुआ था कि वहाँ  पार्क की स्थापना के सम्बन्ध में कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं किया गया था, क्योंकि इसी दिन रामनगर के समीपवर्ती छोई गाँव मे सिख आतंकवादियों ने कुछ लोगों की नृशंस हत्या कर दी थी, और उत्तरप्रदेश के तत्कालीन डीजीपी पुलिस और अन्य अधिकारी लखनऊ से हेलीकॉप्टर से यहाँ आये थे। मैंने पार्क के विद्वान प्रकृतिविद फील्ड डायरेक्टर श्री आनन्द सिंह नेगी से मुलाक़ात करके अपने जीवन की एक यादगार पारी खेलना प्रारम्भ की थी। काश! कॉर्बेट पार्क में व्यतीत किये गए दिन वापस लौट पाते!

लेखक : नरेन्द्र सिंह चौधरी, भारतीय वन सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी हैं. इनके द्वारा वन एवं वन्यजीव के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं.