उत्तराखंड का दिव्य धाम : टिहरी के प्राचीन सिद्धपीठ श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर में पूरी होती हैं हर मनोकामनाएं, स्कंद महापुराण में वर्णित है महिमा

- कोटेश्वर महादेव : टिहरी गढ़वाल का प्राचीन सिद्धपीठ
- जहाँ शिव स्वयं परिवार सहित विराजमान हैं – कोटेश्वर महादेव मंदिर
- मनोकामनाएँ पूर्ण करने वाला उत्तरवाहिनी गंगा तट का पवित्र धाम
- कोटेश्वर महादेव : साधकों के लिए कैलाश समान पवित्र धाम
टिहरी : उत्तराखंड के टिहरी जनपद के नरेंद्रनगर ब्लॉक, पट्टी क्वीली में स्थित श्री कोटेश्वर महादेव मंदिर भगवान शिव का अत्यंत प्राचीन और दिव्य मंदिर है। स्कंद महापुराण के केदारखंड (अध्याय 144) में वर्णित यह सिद्धपीठ अनादिकाल से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है। मंदिर में भगवान शंकर के साथ-साथ प्राकृतिक शिवा भी विराजमान हैं। यहाँ आने वाले श्रद्धालु मन और मस्तिष्क में अद्भुत ऊर्जा का अनुभव करते हैं। उत्तरवाहिनी माँ भागीरथी की पावन ध्वनि मानो स्वयं भगवान शंकर की स्तुति करती प्रतीत होती है। चारों ओर ऊँचे पर्वतों से घिरा यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है जो हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देता है।
अद्भुत आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र
मंदिर परिसर में कदम रखते ही श्रद्धालु मन और मस्तिष्क में एक अद्भुत ऊर्जा का अनुभव करते हैं। उत्तरवाहिनी माँ भागीरथी की पावन ध्वनि मानो स्वयं भगवान शंकर की स्तुति करती प्रतीत होती है। चारों ओर ऊँचे-ऊँचे पर्वतों से घिरा यह क्षेत्र प्राकृतिक सौंदर्य और गहन आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है, जो भक्तों को एक अलौकिक शांति और आंतरिक संतोष प्रदान करता है।
कैलाश समान पवित्र धाम
कोटेश्वर महादेव का यह पावन धाम साधकों और भक्तों के लिए कैलाश के समान पवित्र है। यहाँ त्रिलोकनाथ शिव और प्राकृतिक रूपी माँ जगदंबा की दिव्य ऊर्जा का अनुभव कर भक्त आत्मिक शांति और अध्यात्मिक उत्थान का अनुभव करते हैं। जो भी भक्तजन श्रद्धा और अटूट विश्वास के साथ यहाँ आकर भगवान शंकर की उपासना करते हैं, उनकी हर मनोकामना भगवान कोटेश्वर महादेव द्वारा पूर्ण की जाती है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि प्रकृति और आध्यात्मिकता के अद्भुत संगम का भी अनुपम उदाहरण है।
धार्मिक महत्व
मान्यता है कि यहाँ के पवित्र शिवकुंड में स्नान करने के बाद भक्त मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कर जब शिवलिंग का दर्शन करते हैं तो भगवान शंकर की दिव्य कृपा प्राप्त करते हैं। यहाँ स्थित शिवलिंग को सबसे बड़ा शिवलिंग माना जाता है, जिस पर भगवान शंकर अपने पूरे परिवार सहित विराजमान हैं। इस सिद्धपीठ में सच्चे और पवित्र मन से की गई मनोकामनाएँ अवश्य पूर्ण होती हैं।
प्राचीन कथा
इस मंदिर से जुड़ी एक प्राचीन कथा के अनुसार, माना जाता है कि सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी ने इसी स्थान पर घोर तपस्या की थी। उनकी इस तपस्या के पुण्य प्रभाव से करोड़ों ब्रह्मराक्षसों का उद्धार हुआ था। तभी से यह स्थान और अधिक पुण्यशाली और एक शक्तिशाली सिद्धपीठ के रूप में विख्यात हुआ।
आध्यात्मिक अनुभव
यह स्थान साधकों और भक्तों के लिए कैलाश समान पवित्र है। यहाँ त्रिलोकनाथ शिव और प्राकृतिक रूपी माँ जगदंबा की दिव्य ऊर्जा से भक्त आत्मिक शांति और अध्यात्मिक उत्थान का अनुभव करते हैं। जो भी भक्तजन श्रद्धा से यहाँ आते हैं और भगवान शंकर की उपासना करते हैं, उनकी हर मनोकामना भगवान कोटेश्वर महादेव द्वारा पूर्ण की जाती है।