नई दिल्ली, : नए साल 2026 के जश्न से ठीक पहले देशभर के गिग वर्कर्स ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है, जिससे स्विगी, जोमैटो, ब्लिंकिट, जीप्टो, अमेजन और फ्लिपकार्ट जैसी प्रमुख प्लेटफॉर्म्स की डिलीवरी सेवाएं बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। यह हड़ताल तेलंगाना गिग एंड प्लेटफॉर्म वर्कर्स यूनियन (TGPWU) और इंडियन फेडरेशन ऑफ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स (IFAT) के नेतृत्व में हो रही है। यूनियनों का दावा है कि एक लाख से अधिक डिलीवरी वर्कर्स इसमें हिस्सा लेंगे और ऐप पर लॉगिन नहीं करेंगे।
नए साल की पूर्व संध्या पर ऑनलाइन फूड ऑर्डर और क्विक कॉमर्स की मांग चरम पर होती है, ऐसे में यह हड़ताल पार्टी प्लानिंग करने वालों के लिए बड़ा झटका साबित हो सकती है। दिल्ली-एनसीआर, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद, पुणे, कोलकाता जैसे मेट्रो शहरों के अलावा लखनऊ, अहमदाबाद, जयपुर, इंदौर और पटना जैसे टियर-2 शहरों में भी डिलीवरी देरी या रुकावट की आशंका है।
हड़ताल का कारण
यह हड़ताल क्रिसमस के दिन (25 दिसंबर) हुई आंशिक हड़ताल का延续 है। यूनियनों का आरोप है कि प्लेटफॉर्म कंपनियां वर्कर्स की आय घटा रही हैं, जबकि काम के घंटे और दबाव बढ़ा रही हैं। 10 मिनट डिलीवरी मॉडल को खास तौर पर खतरनाक बताया जा रहा है, जिससे सड़क हादसे बढ़ रहे हैं। धूप, बारिश, ठंड और कोहरे में दिन-रात काम करने के बावजूद वर्कर्स को दुर्घटना बीमा, स्वास्थ्य बीमा, पेंशन या न्यूनतम आय की गारंटी नहीं मिल रही।
अल्गोरिदम के आधार पर मनमाने तरीके से आईडी ब्लॉक करना, पेनल्टी लगाना और काम का असमान वितरण भी बड़ी शिकायतें हैं। यूनियन नेताओं का कहना है कि कंपनियां वर्कर्स को ‘पार्टनर’ कहती हैं, लेकिन कर्मचारी जैसे अधिकार नहीं देतीं।
गिग वर्कर्स की प्रमुख मांगें
यूनियनों ने 9 प्रमुख मांगें रखी हैं:
- पारदर्शी और उचित वेतन संरचना लागू करना।
- 10 मिनट डिलीवरी मॉडल को तत्काल बंद करना।
- बिना उचित प्रक्रिया के आईडी ब्लॉक और पेनल्टी पर रोक।
- सुरक्षा उपकरण और जरूरी गियर प्रदान करना।
- अल्गोरिदम से भेदभाव रोककर सभी को बराबर काम का अवसर।
- प्लेटफॉर्म और ग्राहकों से सम्मानजनक व्यवहार।
- काम के दौरान ब्रेक और तय घंटों से अधिक काम न कराना।
- ऐप और तकनीकी सपोर्ट को मजबूत करना, खासकर पेमेंट व रूटिंग समस्याओं के लिए।
- स्वास्थ्य बीमा, दुर्घटना कवर और पेंशन जैसी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करना।
कौन हैं गिग वर्कर्स?
गिग वर्कर्स वे फ्रीलांस कर्मी हैं जो ऐप-बेस्ड प्लेटफॉर्म्स पर काम करते हैं। फूड डिलीवरी, क्विक कॉमर्स और ई-कॉमर्स में ये लास्ट-माइल डिलीवरी की रीढ़ हैं, लेकिन इन्हें स्थायी कर्मचारी जैसे लाभ नहीं मिलते। हालिया सोशल सिक्योरिटी कोड में इनके लिए कुछ प्रावधान किए गए हैं, लेकिन यूनियनों का कहना है कि इन्हें ठीक से लागू नहीं किया जा रहा।

