सीमैप पुरारा की अभिनव पहल : बागेश्वर की महिलाएं रोज़मेरी उत्पादों से गढ़ेंगी आत्मनिर्भरता की नई कहानी

बागेश्वर : उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कपकोट क्षेत्र में ग्रामीण महिलाओं के जीवन में एक नई रोशनी का संचार हुआ है। केंद्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीमैप) शोध केंद्र, पुरारा की एक पहल के तहत अब यहाँ की महिलाएं रोज़मेरी के विभिन्न उत्पाद तैयार कर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रही हैं।
सीमैप पुरारा द्वारा महिलाओं को रोज़मेरी से जुड़े उत्पाद जैसे हेयर ऑयल, रोज़मेरी वॉटर, हर्बल चाय और सीज़निंग बनाने का प्रशिक्षण प्रदान किया गया है। यह पहल न केवल महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बना रही है, बल्कि स्थानीय स्तर पर औषधीय खेती और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई दिशा दे रही है। पिछले दो वर्षों से कपकोट की महिलाएं, सीमैप के मार्गदर्शन में, विशेष रूप से विकसित रोज़मेरी की ‘सिम-हरियाली’ प्रजाति की खेती कर रही हैं, जो यहाँ की जलवायु और मिट्टी के लिए उपयुक्त पाई गई है।
सीमैप न केवल खेती की उन्नत तकनीकें सिखा रहा है, बल्कि कटाई, प्रसंस्करण और उत्पाद निर्माण में भी महिलाओं को दक्ष बना रहा है। इस प्रशिक्षण के तहत, प्रतिभागियों ने पौधों से उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद तैयार करने की बारीकियाँ सीखीं। खास बात यह है कि इन उत्पादों की मांग न केवल स्थानीय बाजार में है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इनके लिए अच्छे अवसर हैं।
सीमैप ने रोज़मेरी की सूखी पत्तियों के लिए खरीदारों से करार करने की योजना भी बनाई है, जिससे उत्पादकों को उनकी मेहनत का वाजिब मूल्य मिल सकेगा। साथ ही, तैयार उत्पादों की पैकेजिंग और ब्रांडिंग को भी सुदृढ़ किया जा रहा है, ताकि ये बाजार में प्रतिस्पर्धा कर सकें और वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बना सकें।
प्रशिक्षण में शामिल महिलाओं ने भी इस पहल को एक बड़ा बदलाव बताया। कपकोट की कुंती देवी ने कहा, “पहले हम सिर्फ खेती करते थे, लेकिन अब हमें उत्पाद बनाना, ब्रांडिंग करना और बाज़ार तक पहुँचाना भी आ गया है। इससे हमें अपनी आय बढ़ाने का अवसर मिलेगा और हम अपने परिवार को बेहतर भविष्य दे सकेंगे।”
सीमैप पुरारा की यह पहल ग्रामीण क्षेत्र में महिला सशक्तिकरण और आर्थिक उत्थान की दिशा में एक मील का पत्थर बन रही है। अब कपकोट की महिलाएं न केवल अपनी पहचान खुद बना रही हैं, बल्कि औषधीय एवं सगंध पौधों की खेती के माध्यम से अपने गाँव की बंजर जमीन को भी उपजाऊ बना रही हैं।
सीमैप के वैज्ञानिकों ने भी प्रशिक्षण के दौरान किसानों से अपील की कि वे औषधीय और सगंध पौधों की खेती को अपनाकर अपनी आजीविका के नए द्वार खोलें और प्रदेश की हरियाली और समृद्धि में अपना योगदान दें। यह अभिनव प्रयास दिखाता है कि सही मार्गदर्शन और सतत प्रयासों से ग्रामीण महिलाएं आत्मनिर्भरता की मिसाल कायम कर सकती हैं।