राजकीय महाविद्यालय मंगलौर ने समाजशास्त्र विभाग द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का हुआ समापन, मुख्य वक्ता डॉ. तनु मित्तल ने कहा जब एक नारी शिक्षित होगी तभी समाज का विकास और अच्छे राष्ट्र का निर्माण होगा
मंगलौर/रूडकी : राजकीय महाविद्यालय मंगलौर हरिद्वार ने उच्च शिक्षा में नयी ऊँचाइयों को प्राप्त करते हुए समाजशास्त्र विभाग द्वारा “21 वीं सदी में बाजारवाद और उदारीकरण के दौर में महिलाओं की सुरक्षा, समस्या एवं चुनौतियाँ” विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी के समापन दिवस पर इस संगोष्ठी के मुख्य अतिथि, डॉ. तनु मित्तल राजकीय स्नात्तकोतर महाविद्यालय नई टिहरी विशिष्ट अतिथि डॉ. बबित विहान एसो. प्रो. राजकीय महाविद्यालय जखौली, मुख्य वक्ता डॉ. कल्पना भटट् एसो. प्रो. धनौरी पीजी कॉलेज धनौरी, डॉ. गुलनाज फात्मा असि. प्रो. समाजशास्त्र पीजी कॉलेज धनौरी, ने दीप प्रज्जवलित कर सरस्वती वंदना करी। इसके उपरान्त संगोष्ठी का संचालन कर रहे डॉ. प्रवेश त्रिपाठी ने आंमत्रित अतिथियों का स्वागत करने के लिए भारती, असमा, अमीशा, इत्यादि छात्राओं को निमंत्रित किया। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. तीर्थ प्रकाश ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए राष्ट्रीय संगोष्ठी को सफल होने के लिए शुभकामनायें दी।
इस के उपरान्त राष्ट्रीय संगोष्ठी की समन्वयक डॉ. दीपा शर्मा ने संगोष्ठी के पहले दिन की रूपरेखा प्रस्तुत की। सर्वप्रथम मंच पर डॉ. बबित विहान को व्याख्यान हेतु मंच पर आंमत्रित किया गया उन्होंने बताया कि महिला एवं पुरुष एक गाड़ी के दो पहिये है जैसे भगवान शिव नारी के अभाव में जड़ बने रहते है इसके पश्चात डॉ. गुलनाज फात्मा एसो. प्रो. ने पावर पॉइट के माध्यम से बताया कि विकास वादी एवं आध्यात्मिक दृष्टि से महिला उन्नति के पथ पर अग्रसर है।
कार्यकम को आगे बढ़ाते मुख्य अतिथि डॉ. तनु मित्तल ने पावर पॉइट के माध्यम से चित्रित किया कि समाज का विकास तभी सम्भव है जब एक नारी शिक्षित होगी तभी एक अच्छे राष्ट्र का निर्माण होगा, तत्पश्चात डॉ. कल्पना भटट् मुख्य वक्ता ने पावर पॉइट के माध्यम से नारी सुरक्षा के समस्त विषयों पर गहनता से प्रकाश डाला और बताया महिलायें जब सुरक्षित है जब वो अपने आप को सुरक्षित समझना महसूस करने लगे। इसके अवसर पर शोध वक्ता के रूप में डॉ. निशा एवं हरीश राम जैसे शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। इस के उपरान्त महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ तीर्थ प्रकाश ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में आमंन्त्रित अतिथियों का धन्यवाद दिया। उन्होंने कड़े शब्दों में कहा कि यदि भारत को विकसित राष्ट्र की श्रेणी में अग्रणी होना है तो महिलाओं के प्रति सोच को बदलना होगा। इस के पश्चात प्राचार्य द्वारा आमंन्त्रित अतिथियों का शॉल एवं स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मानित किया। उन्होंने बताया कि किस प्रकार बहुत सारे विचार साहित्य के माध्यम से ही ले सकते है एवं इस कार्यकम को सफल बनाने के लिए महाविद्यालय परिवार के डॉ. कलिका काले, डॉ. अनुराग, डॉ. रचना वत्स, सरमिष्टा गीता जोशी, सूर्य प्रकाश, रोहित, सन्नी, जगपाल एवं छात्र छात्राओं बहुतायत में उपस्थित रहे।