Wednesday, December 18th 2024

धरोहर : चार सौ वर्षो से खड़ा है पौड़ी गढ़वाल जिले में आम का पेड़, इस पुराने वृक्ष को संरक्षण की दरकार

धरोहर : चार सौ वर्षो से खड़ा है पौड़ी गढ़वाल जिले में आम का पेड़, इस पुराने वृक्ष को संरक्षण की दरकार
 
पौड़ी। हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड न सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुन्दरता के लिए जाना जाता है बल्कि विश्व पर्यावरण की दृष्टि से भी मध्य हिमालयी यह क्षेत्र बहुत ही महत्वपूर्ण है। यहाँ के पेड़- पौधे, वनस्पति मानव हितकारी तथा अपने आप में अद्वितीय सुन्दरता लिए हुए हैं। यहाँ स्थित कुछ पेड़ सदियों पुराने हैं। इन पेड़ों ने मानव की कई नयी-पुरानी पीढ़ियों के बचपन, जवानी तथा बुढ़ापा देखा है। इसी प्रकार से एक आम का पेड़ मण्डल मुख्यालय पौड़ी के निकट थली ग्रामसभा के अन्तर्गत ग्राम कमन्द में मौजूद है। यह गाँव पौड़ी- श्रीनगर रोड़ पर पौड़ी से लगभग 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस पेड़ के बारे में स्थानीय निवासियों द्वारा दावा किया जा रहा है कि, यह पेड़ लगभग 400 साल पुराना है।
इस फलदार आम के पेड़ से गाँव तथा आस-पास के गाँवों की आठ से दस पीढ़ियां निरन्तर आम का स्वाद ले रही हैं। इस आम के पेड़ पर अलग-अलग प्रजाति के आम आते हैं जो कि, स्वाद तथा फल के रंग  हिसाब से भी अलग ही सुन्दरता लिए रहते हैं। इस पेड़ से एक प्रकार का आम पकने के बाद लाल रंग का होता है, दूसरा प्रकार लाल तथा पीले रंग का मिश्रण लिए रहता है जबकि तीसरे प्रकार का आम का फल पीले रंग का होता है। स्वाद में भी फर्क है। गाँव के लोग बताते हैं कि, यह पेड़ गाँव की पंचायती भूमि पर स्थित होने के कारण पंचायती आम कहलाता है। पहले इस आम के पेड़ पर फल आने के बाद फलों की सुरक्षा के लिए गाँव के प्रत्येक परिवार को बारी-बारी से राग-जाग करनी पड़ती थी। पकने के बाद इस पेड़ के फलों को गाँव के प्रत्येक परिवार को समान रूप से वितरण किया जाता था। गाँव की सामूहिकता तथा सामुदायिक में यह पेड़ बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता था। गाँव से लगातार पलायन होने के कारण यह पेड़ भी उपेक्षा का दंश झेल रहा है।
वर्तमान में लगभग 400 साल पुराने इस पेड़ को संरक्षण की आवश्यकता महसूस हो रही है। ग्रामीण कहना है कि, इस पेड़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सब की है। गाँव के लोगों का मानना है कि, राष्ट्रीय महत्व के इस पेड़ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाना चाहिए। गतवर्ष देहरादून स्थित वन अनुसन्धान केन्द्र को उपलब्ध कराये गये पेड़ के सैम्पल के आधार पर एफआईआर, देहरादून ने उक्त पेड़ की आयु गणना करते हुए अनुमानित आयु 349 को मध्य मानते हुए न्यूनतम 313 से अधिकतम 385 वर्ष मानी है। पर्यावरण की दृष्टि से धरती पर मौजूद पुराने पेड़ बहुत महत्वपूर्ण हैं। पेड़ धरती पर मौजूद कार्बन डाई ऑक्साइड के स्तर को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं तथा पेड़ ही हमें प्राणवायु उपलब्ध करवाते हैं। पुराने पेड़ों के संरक्षण के लिए राज्य तथा केन्द्र सरकार का एक विशेष नीति लाने की आवश्यकता है ताकि इस प्रकार के पुराने पेड़ों का संरक्षण एवं संवर्धन किया जा सके।