द हंस फाउंडेशन एवं भूमि संरक्षण वन प्रभाग लैंसडाउन एक साथ मिलकर करेंगे वानाग्नि प्रबंधन के लिए कार्य
कोटद्वार । द हंस फाउंडेशन एवं भूमि संरक्षण वन प्रभाग लैंसडाउन फाउंडेशन द्वारा संचालित फॉरेस्ट फायर परियोजना के अंतर्गत ग्राम स्तर पर चयनित फायर फाइटर्स को वानाग्नि प्रबंधन हेतु प्रशिक्षण प्रदान करने तथा आगामी फायर सीजन में वनों को आग से बचाने के लिए एक साथ मिलकर कार्य करने हेतु सहमति बनाई है। इसके लिए प्रभागीय वनाधिकारी ने फॉरेस्ट ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट हल्द्वानी से प्रशिक्षित मास्टर ट्रेनर्स की एक टीम का गठन कर दिया है। द हंस फाउंडेशन ने उत्तराखंड के 1000 ग्रामों पर संचालित फॉरेस्ट फायर परियोजना के अंतर्गत प्रत्येक ग्राम में 5 से 7 वॉलंटियर फायर फाइटर्स को प्रशिक्षण व आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराके वानाग्नि प्रबंधन हेतु तैयार किया जा रहा है जोकि आगे चलकर अन्य ग्रामीणों को भी वनों को आग से बचाने के लिए जागरूक व प्रशिक्षित करेंगे। चयनित ये फायर फाइटर्स ग्राम स्तर पर आग की घटनाओं पर तेजी से प्रतिक्रिया देने और आगामी सीजन में जंगल की आग को रोकने और कम करने में वन विभाग का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
जंगल की आग के बढ़ते खतरे से निपटने की तत्काल आवश्यकता को पहचानते हुए इस साझेदारी का उद्देश्य वन क्षेत्रों में अग्निशमन प्रयासों की क्षमता और प्रभावशीलता को बढ़ाना है। फायर फाइटर्स को विशेष प्रशिक्षण से लैस करके वे आपातकालीन स्थितियों को संभालने, क्षति को कम करने और मानव बस्तियों और कीमती वन पारिस्थितिकी प्रणालियों दोनों की रक्षा करने के लिए बेहतर ढंग से सुसज्जित होंगे। हंस फाउंडेशन जो अपनी परोपकारी पहलों के लिए जाना जाता है ने जंगल की आग से उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए एक सक्रिय दृष्टिकोण अपनाया है। स्थानीय स्वयंसेवकों की पहचान और प्रशिक्षण करके, फाउंडेशन का लक्ष्य समुदाय आधारित उत्तरदाताओं का एक मजबूत नेटवर्क बनाना है जो आग की आपात स्थिति के दौरान तेजी से और प्रभावी ढंग से कार्य कर सकें।
भूमि संरक्षण वन प्रभाग लैंसडाउन ने वन अग्निशमन की आवश्यकताओं के अनुरूप व्यापक प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करने के लिए द हंस फाउंडेशन के साथ हाथ मिलाया है। इस साझेदारी से जंगल की आग के विनाशकारी प्रभावों को रोकने और कम करने में महत्वपूर्ण सहयोग मिलेगा। परियोजना के अंतर्गत अब तक लगभग 3000 वॉलंटियर फायर फाइटर्स को चिन्हित कर लिया गया है। इस प्रयास के तहत ग्राम स्तर पर एक समर्पित फायर फाइटर्स की टीम तैयार की जा रही है जो वनों को आग से बचाने के लिए कार्य कर रही हैं। वानाग्नि काल में वन विभाग के सामने सबसे बड़ी समस्या रहती है, सीमित मानव संसाधन एवं सामुदायिक सहभागिता । द हंस फाउंडेशन के इन प्रयासों के जहां एक तरफ ग्राम स्तर पर ही एक टीम खड़ी की जा रही है वहीं दूसरी तरफ सामुदायिक सहभागिता को भी बढ़ावा दिया जा रहा है।
वन रेन्ज कार्यालय मटियाली क्षेत्र में आयोजित फायर फाइटर्स प्रशिक्षण कार्यक्रम में ग्राम कलोडी, खजरी खुडीला, सनेथ, सुण्डल, महरगांव, उडियारी, बडेथ कड़ासू, बनाली, काण्डा, जवाड, हथनूड, के 71 फायर फाइटर्स ने प्रतिभाग किया जिसमें उन्हें वन पंचायत नियमावली, वानाग्नि के कारकों, वानाग्नि के मानव वन्य जीव व पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव, बचाव के उपाय, सामुदायिक सहभागिता के महत्व, समुदाय के रोल फायर, लाइन निर्माण, वानाग्नि उपकरणों के उपयोग, ईंधन प्रबंधन की जानकारी प्रदान की गई। प्रशिक्षण में वन विभाग के वन क्षेत्राधिकारी विशन दत्त जोशी, मास्टर ट्रेनर कमलेश कुमार रतूडी, हरक सिंह दानू, हनुमन्त प्रसाद द्विवेदी सहित वन विभाग के समस्त कर्मचारी एवं द हंस फाउंडेशन के फील्ड स्टॉफ उपस्थित रहे।