Thursday, November 28th 2024

उत्तराखंड में बड़ा फैसला, मानकों पर फिट नहीं बैठा तो ढहा दिया जाएगा भवन, ये है वजह

उत्तराखंड में बड़ा फैसला, मानकों पर फिट नहीं बैठा तो ढहा दिया जाएगा भवन, ये है वजह

 

देहरादून : आपदा उत्तराखंड के लिए आम बात है। हर साल किसी न किसी तरह से आपदा लोगों को तक्लीफें देकर चली जाती है। जोशीमठ का हाल देश-दुनिया ने देखा। वहां, लोग आज भी खौफ में जी रहे हैं। इसी आपदा से सबक लेते हुए सरकार ने अब एक बड़ा प्लान तैयार किया है। अगर आपका भवन मानकों पर फिट नहीं बैठा तो उसे ढहा दिया जाएगा।

सरकार ने सभी जिलों में ऐसी बिल्डिंग्स को मार्क करने का फैसला किया है, जो जोखिम संभावित हैं, जिनसे भविष्य में किसी भी तरह का खतरा हो सकता है। ऐसे असुरक्षित भवन अगर रेट्रोफिटिंग के माध्यम से सुरक्षित नहीं होंगे, तो उन्हें ढहा दिया जाएगा।

असुरक्षित भवनों की चिन्हित करने और रेट्रोफिटिंग की कार्रवाई के लिए शासन ने सभी जिलों में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ और तकनीकी समिति का गठन कर दिया है। इस संबंध में आवास विभाग ने आदेश जारी कर दिया है।

इसके तहत तीखी ढलानों पर बसे जोशीमठ के कई आवासीय और व्यावासयिक भवन खतरे की दृष्टि से बेहद संवेदनशील हैं। विशेषज्ञों के सुझाव पर सरकार जोशीमठ में असुरक्षित और संवेदनशील भवनों के रेट्रोफिटिंग का फैसला पहले ले चुकी है।सरकार ने सभी जिलों में असुरक्षित भवनों के चिह्निकरण का काम शुरू किया है। यह काम डीएम की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी करेगी।

प्रत्येक जिले में ऐसी होगी समिति

राज्य के प्रत्येक जिले में DM की अध्यक्षता गठित समिति कुल छह सदस्य हैं। इनमें MDDA व हरिद्वार-रुड़की विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और सचिव, सभी जिला विकास प्राधिकरण से संबंधित क्षेत्र के उप जिलाधिकारी, लोनिवि, सिंचाई, ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के अधिशासी अभियंता, संबंधित जिले में भू तत्व व खनिकर्म विभाग के सहायक भू-वैज्ञानिक के साथ ही नगरी स्थानीय निकाय के नगर आयुक्त या अधिशासी अधिकारी समिति के सदस्य बनाए गए हैं।

ये है सर्व के मानक

  • राज्य में प्राकृतिक आपदाओं मसलन भूकंप, हिमस्खलन, भूस्खलन, भू-धंसाव, अतिवृष्टि और बाढ़ की दृष्टिगत आपदा को कम करने के लिए वर्तमान में बने ऐसे भवनों की पहचान करेगी, जो जोखिम संभावित की श्रेणी में आते हैं।
  • समिति ऐसे भवनों की पहचान करेगी जो 30 डिग्री से अधिक ढाल पर बनाए गए हैं या फ्लड जोन में बने हैं।
  • ऐसे भवन भी जो हिमस्खलन या भूस्खल प्रभावित या संभावित क्षेत्र में बने हैं।
  • 15 मीटर ऊंचे ऐसे भवन जो ढांचागत रूप से असुरक्षित हैं।
  • भूकंपीय फाल्ट लाइन से 30 मीटर की दूरी में बने भवन या किन्हीं कारणों से असुरक्षित भवन।

समिति करेगी कार्रवाई

  • असुरक्षित भवनों का चिह्निकरण के साथ ही समिति भवन स्वामी को रेट्रोफिटिंग के जरिये भवन को सुरक्षित बनाने के सुझाव देगी और इसका अनुपालन सुनिश्चित कराएगी।
  • जिन भवनों को रेट्रोफिटिंग के जरिये सुरक्षित नहीं किया जा सकता है उनको, विद्यमान नियमों के तहत ध्वस्तीकरण की कार्रवाई करेगी।
  • इस कार्य के लिए विषय विशेषज्ञों को समिति में सदस्य के रूप में आमंत्रित किया जा सकेगा।