कोटद्वार में सम्पन्न हुई राज्यस्तरीय संगोष्ठी
कोटद्वार। उत्तराखंड संस्कृत अकादमी के द्वारा संस्कृत मास महोत्सव के उपलक्ष्य में उत्तराखंड की शास्त्र परंपरा को लेकर राज्य के समस्त जनपदों में संस्कृत संगोष्ठी का आयोजन किया गया । जिसमें पौड़ी जनपद में राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय कोटद्वार में उत्तराखंडस्य संस्कृत परंपरा पर आधारित संस्कृत संगोष्ठी का शनिवार को आयोजन किया गया । संगोष्ठी की संयोजिका डॉ रोशनी असवाल ने बताया कि श्रावण मास की पूर्णिमा को वैदिक काल से ही बालकों को विद्यारंभ में प्रवेश कराया जाता था इसी दिन को संस्कृत दिवस के रूप में मनाया जाता है । इसी उपक्रम में इस संगोष्ठी का आयोजन संस्कृत के प्रचार प्रसार हेतु किया जा रहा है । मुख्य वक्ता के रूप में प्रोफेसर राजेश्वर प्रसाद मिश्र कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय संगोष्ठी में जुड़े अपने व्याख्यान में उन्होंने उत्तराखंड के गौरवशाली समृद्ध संस्कृत साहित्य का विस्तार से परिचय दिया और उत्तराखंड जिनकी कर्मभूमि तथा जन्मभूमि रही ऐसे संस्कृत सेवापरायण कवियों का विषदता से परिचय कराया ।
विशिष्ट अतिथि के रूप में महाकवि आचार्य निरंजन मिश्र ने अपने उद्बोधन में उत्तराखंड के संस्कृत साहित्यकारों का परिचय देते हुए उनके शास्त्रीय वैशिष्टय को भी उजागर किया साथ ही इन कवियों की अनूठी शैली से भी अवगत कराया । संगोष्ठी के मुख्य अतिथि रहे निदेशक उच्च शिक्षा उत्तराखंड प्रोफेसर सीडी सूंठा ने अपना बधाई संदेश प्रेषित किया । कार्यक्रम अध्यक्षा महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ जानकी पंवार ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए अपने वक्तव्य में कहा कि वक्ताओं के दिए गए व्याख्यान से छात्र वर्ग अत्यंत लाभान्वित हुए होंगे, संस्कृत प्राचीन भाषा होने के साथ वर्तमान में उतनी ही प्रासंगिक है । इसका अधिक से अधिक प्रचार होना चाहिए । इस अवसर पर राज्य संयोजक हरीश चंद्र गुरुरानी ने प्रस्ताविक उद्बोधन में अकादमी के कार्यों का भी उल्लेख किया । संगोष्ठी के सह संयोजक डॉ संजीव कुमार ने सभी अतिथियों तथा संगोष्ठी में उपस्थित सभी महानुभावों का धन्यवाद ज्ञापन किया । इस अवसर पर कुमाऊं विश्वविद्यालय की विभागाध्यक्षा डॉ जया तिवारी, राजकीय महाविघालय गरुड़ की प्राचार्य प्रो. प्रेमलता कुमारी, आचार्य जगदीश सेमवाल, रोशन गौड़ तथा कोटद्वार महाविद्यालय से सभी प्राध्यापक तथा संस्कृत के विद्यार्थी उपस्थित रहे ।