Friday, November 15th 2024

भारत की जनजाति आबादी में सिकल सेल रोग एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती, भारत सरकार जनजातीय आबादी के स्वास्थ्य और विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध

नई दिल्ली : हिंदुस्तान विविधताओं का देश है और विविधताओं में एकता यह हमारी पहचान है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने इन विविधताओं को सजोएं रखने के लिए एक भारत श्रेष्ठ भारत का मंत्र दिया है। हम एक ऐसे भारत की कल्पना को आगे बढ़ा रहे हैं, जहां पर एक – एक भारतीय को गुणवत्ता युक्त जीवन की चिंता की जाती है। समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति तक देश की आधुनकि स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ पहुंचा पाएं, इसके लिए भारत सरकार की ओर से लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।  भारत में, लगभग 706 विभिन्न जनजातियाँ हैं, जो कुल जनसंख्या का 8.6% हैं। हमारी जनजातीय आबादी हमारे देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न अंग है। भारत के प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है, ” भारत का अतीत, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समुदाय के बिना कभी भी पूरा नहीं होगा।” भारत सरकार जनजातीय नैतिक मूल्य प्रणालियों, परम्पराओं, सामाजिक-आर्थिक स्थितियों और जनजातीय संगठनों का समुचित संज्ञान लेकर राष्ट्रीय प्राथमिकता के रूप में जनजातीय आबादी के स्वास्थ्य और विकास के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है।

भारत की जनजाति आबादी में सिकल सेल रोग एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती है। Sickle Cell एक आनुवांशिक बीमारी है, जिसमें व्यक्ति के रक्त कणों को आकार विकृत होकर दराती जैसा हो जाता है। यह बीमारी सामान्यत: आदिवासी जनजाति में पाई जाती है। यह रोग हमारी जनजातियों के भविष्य और अस्तित्व के सामने बहुत बड़ा खतरा है, इस रोग के प्रसार को समय पर रोकना अनिवार्य है। इस अनुवांशिक बीमारी को रोकने के लिए अभी तक जितने प्रयास होने चाहिए थे, उतने प्रयास पिछले सरकारों में नहीं हुए हैं, जिसके कारण दुनिया के अन्य देश जैसे कि इटली, जापान इत्यादि ने इस रोग पर काबू कर लिया है लेकिन भारत आज भी इस रोग से लड़ रहा है। मैं खासतौर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का आभार प्रकट करना चाहूंगा जिन्होंने सिकल सेल की इस चुनौती को खत्म करने के लिए वित्त वर्ष 2023-24 के केंद्रीय बजट में, राष्ट्रीय अभियान “Sickle Cell Anaemia Elimination Mission 2047” शुरू करने की घोषणा की है।

Sickle Cell बीमारी 2 तरह से इंसान के शरीर में रहती है, एक Sickle Cell trait जिसमें मरीज को कोई बीमारी या लक्षण नहीं दिखते हैं और इंसान नॉर्मल जिंदगी जीता है। दूसरे में Sickle Cell बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं। देश के 13 राज्य राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश, छत्तीगढ़, झारखण्ड, पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तेलांगाना, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडू, केरल, कर्नाटक एवं महाराष्ट्र में यह बीमारी का high prevalence है, जबकि देश के 4 राज्य बिहार, असम, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश में इसका partial prevalence है।

सिकल सेल रोग (एससीडी) से पीड़ित व्यक्ति को बहुत सारी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करता हैं, जिनमें शरीर में दर्द रहना, कमजोरी रहना और खून की कमी जैसे कारणो से मरीज का पूरा जीवन बीमारी के बीच काटता हैं। सिकल सेल एनिमिया रोग को खत्म करने के लिए दो पहल पर कार्य किया जा रहा है। जिसमें पहला है – इस रोग की रोकथाम, ताकि आगे नए मरीज पैदा न हो और जो मरीज है उसके उपचार प्रबंधन और अच्छे स्वास्थ्य सुविधा कैसे उपलब्ध हो उसके लिए पूरा इकोसिस्टम तैयार किया जा रहा है।   

अगर दो ऐसे इंसान शादी करते हैं, जो दोनों Sickle Cell trait हैं, तो उनसे पैदा होने वाला बच्चा Sickle Cell बीमारी होने की संभावना बहुत है। अगर पहले से ही Sickle Cell का स्क्रीनिंग करके ऐसे 2 लोगों को शादी करने से रोका जाए तो यह बीमारी का प्रसार रूक सकता है। भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने जनजातीय मंत्रालय और राज्यों के साथ मिलकर अगले 2-3 साल में देश के 17 राज्यों के लगभग 200 जिलों में बस रही आदिवासी व अन्य समूह की 0-40 साल से कम आयु वाली 7 करोड़ जनसख्ंया को 3 साल में स्क्रीनिंग कर अमृतकाल में 2047 तक Sickle Cell बीमारी को खत्म करने की योजना बनाई है। स्क्रीनिंग के बाद सभी को उनकी स्थानीय भाषा में स्मार्ट कार्ड दिया जाएगा, जिससे शादी करने वाले लड़का और लड़की को आसानी से पता चल सकेगा कि शादी के बाद होने वाले बच्चें सिकल सेल से ग्रस्त होगें या नहीं।

इस पूरे कार्यक्रम को चलाने के लिए, जनभागीदारी को सुनिश्चित करने और बड़े पैमाने पर जागरूकता लाने के लिए अलग अलग स्तर पर मॉनिटरिंग मेकेनिज्म बनाया जाएगा। स्क्रीनिंग में बीमार पाए जाने वाले लोगों को नियमित रूप से टेस्टिंग हो, उपचार और दवाई मिले, अन्य रोगों की वैक्सीन लगे, डाइट सपोर्ट मिले और समय – समय पर काउंसिलिंग की सुविधा मिलती रहे, वह भी सुनिश्चित किया जाएगा।इस रोग से लड़ने के लिए सरकार ने पर्याप्त बजट आवंटन, उच्च तकनीक का इस्तेमाल, स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षण, जरूरी इंफ्रास्ट्रचर, सामाजिक जागृति और सामाजिक हिस्सेदारी को सुनिश्चित करने के प्रयास किये हैं। यह एक मजबूत इच्छाशक्ति और नीतिगत फैसलों का परिणाम है।

पहले से ही देश में आयुष्मान भारत योजना के जरिए, देश में 1.60 लाख हेल्थ एण्ड वैलनेस सेंटर का पूरा नेटवर्क 2014 के बाद तैयार किया गया है, जिसके जरिये हमने कोविड जैसी महामारी से लड़ाई लड़ी। यह सेंटर बाकि रोगों के साथ सिकल सेल रोग को खत्म करने में भी एहम भूमिका निभाएंगे। हमने सिकल सेल के मरीजो को बेहतर इलाज देने के लिए इन सेंटर में कार्यरत स्वास्थ्य कर्मियों को प्रशिक्षित कर लिया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 जून, 2023 को सिकल सेल एनिमिया उन्मूलन मिशन की लॉन्चिग मध्य प्रदेश से करेंगे। यह पहल सिकल सेल एनिमिया की लड़ाई को बहुत मजबूती प्रदान करेगी। सिकल सेल के मरीजों का पूर्ण रूप से ट्रेकिंग करने के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए एक वेब पॉर्टल बनाया गया है, जिसमें उन मरीजों का परमानेंट रिकार्ड रहेगा। मुझे विश्वास है कि यह मिशन वर्ष 2047 तक सिकल सेल एनिमिया के उन्मूलन का मार्ग प्रसश्त करेगा और भारत की जनजाति आबादी जो यह देश की विरासत को संजोए रखी है, वह आबादी का अस्तित्व सुरक्षित हो जाएगा।