गणतन्त्र दिवस पर युवा कवि विक्रमादित्य की कविता “प्राणो से भी हमको प्यारा, अमर रहे गणतंत्र हमारा”

प्राणो से भी हमको प्यारा
अमर रहे गणतंत्र हमारा
सींचा इसको अपने लहू से
कितने ही बलिदानो ने
संघर्षो से मुक्त कराया
कितने इसके दीवानो ने
देशभक्तों को सदा रहेगा
आदरणीय नमन हमारा
प्राणो से भी हमको प्यारा
अमर रहे गणतंत्र हमारा
आज़ादी के बाद संभाला
जवानो ने किसानो ने
फलती फूलती इसकी पहुंची
कीर्ति आसमानो में
देशप्रेमियों की मेहनत से
आभारी है जग सारा
प्राणो से भी हमको प्यारा
अमर रहे गणतंत्र हमारा
नयी पीढ़ी के नौजवान हम
मिलकर यह संकल्प लेवें
पुरखो ने जो आहुति दी
उस से ज़्यादा हम देवें
अपने राष्ट्र के बागडोर को
तन मन धन समर्पित सारा
प्राणो से भी हमको प्यारा
अमर रहे गणतंत्र हमारा
– विक्रमादित्य